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This Article is From Sep 11, 2018

मध्यप्रदेश में सत्ता के वनवास से मुक्त होने के लिए कांग्रेस राम की राह पर

कांग्रेस ने 'राम वन गमन पथ यात्रा' शुरू करने की योजना बनाई, यात्रा चित्रकूट से 21 सितंबर से शुरू होगी और 35 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी

मध्यप्रदेश में सत्ता के वनवास से मुक्त होने के लिए कांग्रेस राम की राह पर
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह (फाइल फोटो).
भोपाल: मंदिर दौड़, हर पंचायत में गौशाला के ऐलान के बाद सत्ता का वनवास खत्म करने के लिए मध्यप्रदेश कांग्रेस अब भगवान राम की राह पर चलने के लिए उतावली है. 15 साल से सत्ता का वनवास झेल रही कांग्रेस ने 'राम वन गमन पथ यात्रा' शुरू करने की योजना बनाई है.
            
कांग्रेस ने यात्रा का औपचारिक ऐलान नहीं किया है लेकिन सूत्रों की मानें तो यह यात्रा चित्रकूट से 21 सितंबर से शुरू होकर 35 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी. बीजेपी कहती है कि कांग्रेस राम का सियासी इस्तेमाल कर रही है. जबकि कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा कांग्रेस के लिए धार्मिक भावनाएं बहुत व्यक्तिगत हैं और हमने भगवान राम से संबंधित मुद्दों पर कभी राजनीतिकरण नहीं किया है. बीजेपी सरकार ने 12 साल पहले राम वन गम पथ बनाने का वादा किया था, लेकिन सब कुछ कागज़ों पर है, ज़मीन पर कुछ भी नहीं. हम मध्यप्रदेश को धार्मिक मानचित्र पर लाना चाहते हैं, सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के लिए, ताकि मध्यप्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले, जिसके माध्यम से हम युवाओं के लिए रोजगार पैदा कर सकें.

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बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर कांग्रेस को राम मंदिर का समर्थन करना चाहिए. कांग्रेस को चुनाव के वक्त ही भगवान राम की याद क्यों आती है. साफ तौर पर इस यात्रा से वह सियासी लाभ कमाना चाहती है क्योंकि वह जानती है कि मध्यप्रदेश हिन्दू बहुल राज्य है.
        
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक यात्रा एक खुले रथ पर निकालेंगे, जिस पर हिंदू साधु-संत बैठेंगे. यात्रा के दौरान अखण्ड मानस पाठ और भजन होगा.

VIDEO : अध्यक्ष बनने के बाद कमलनाथ ने किया मंदिरों का रुख

हम आपको बता दें कि इससे पहले मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने गंजबासौदा में ऐलान किया था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो राज्य की सभी पंचायतों में गौशालाएं खोली जाएंगी. प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद कमलनाथ ने सबसे पहले मंदिरों की तरफ रुख किया था जिसकी शुरुआत राजधानी भोपाल स्थित हनुमान मंदिर से हुई. इसके बाद वे उज्जैन में महाकाल और फिर दतिया की पीतांबरा पीठ में दर्शन के लिए गए थे.

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