मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 15-20 सालों से पढ़ा रहे 'अतिथि विद्वान' नियमितीकरण की मांग पर कमलनाथ सरकार की वादाखिलाफी से नाराज होकर भोपाल में धरने पर बैठे हैं. इससे पहले वे मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा भी पहुंचे थे. पैदल रास्ता तय करते अब वे राजधानी में हैं. वे सरकार को याद दिला रहे हैं कि कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में अतिथि विद्वानों की नौकरी को लेकर वादा किया था.
राजधानी भोपाल के यादगार-ए-शाहजहांनी पार्क में गुरुवार को 36 अतिथि विद्वानों ने मुंडन कराकर विरोध दर्ज कराया. शाम को उन्हें बारिश ने भिगोया फिर भी अतिथि विद्वान डटे रहे. शुक्रवार को आंदोलनकारी महिलाओं ने अपने दुपट्टे जलाकर विरोध दर्ज कराया. इस दौरान लगातार अनशन कर रही डॉ अनुपम सिंह बघेल की तबीयत बिगड़ गई. मैदान में कॉलेज छोड़ नौकरी बचाने की जुगत में लगे शिक्षक अपने बच्चों के साथ धरना दे रहे हैं. कोई रो रहा है... लेकिन फिलहाल इनकी तकलीफ सुनने कोई नहीं आया.
डॉ बघेल ने कहा हम लोगों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं, वो मैं नहीं होने दूंगी. हम लोग यहां से नियमितीकरण लेकर जाएंगे. वहीं टीकमगढ़ से आई खेल अधिकारी सोना विश्वकर्मा ने गुस्से में पूछा हम लोग क्या भीख मांगें, एक भी अधिकारी पूछने नहीं आया तुम कैसी हो.
ग्वालियर से आई दो दिव्यांग बहनों के भरोसे पांच लोगों का परिवार है. पांच साल से बतौर अतिथि विद्वान पढ़ा रही हैं. अब आंखों में आंसू और दिल में गुस्सा है. कहती हैं कि मेरी छोटी बहन विकलांग है. हमारे घर में कई कमाने वाले नहीं हैं. कमलनाथ सरकार ने हमसे वादा किया, हमने उनको वोट दिया. नौकरी सरकार ने दूसरों को दी. हमारे पिताजी ने हमें मजदूरी करके पढ़ाया, अब हम लोग क्या करेंगे? बेरोजगार हो जाएंगे तो हमें नियमितीकरण और पीएससी की नियमित जांच चाहिए.
अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह का कहना है कि सरकार उनकी स्थिति जानने को तैयार नहीं है. लगातार जिस तरह से बयान जारी किए जा रहे हैं, वास्तविकता उसके विपरीत है. असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पीएससी से चयनित उम्मीदवार जैसे ही कॉलेजों में ज्वाइन कर रहे हैं अतिथि विद्वान बाहर हो रहे हैं. अब तक 400 अतिथि विद्वान बाहर हो चुके हैं.
ठीक ऐसा ही आंदोलन इससे पहले मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग से चयनित उम्मीदवारों ने निकाला था. असिस्टेंट प्रोफेसर के तीन हजार पदों के लिए भर्ती में 2700 अभ्यर्थी चयनित हुए लेकिन नियुक्ति नहीं मिली. अब जाकर उन्हें नियुक्ति मिलने लगी, लेकिन पेंच यूं फंसा कि पीएससी चयनित उम्मीदवारों को नौकरी मिलने से अतिथि विद्वान बाहर होने लगे. ऐसे में सरकार उन्हें आश्वासन दे रही है.
@INCMP @INCIndia @OfficeOfKNath इन दो अतिथि विद्वानों की सुन लीजिये, 5 लोगों का परिवार इन दो दिव्यांग बहनोॆ के आसरे है @jitupatwari @ChouhanShivraj @BJP4India @BJP4MP @ndtvindia @VishvasSarang #RahulGandhi #FridayFeeling pic.twitter.com/oas3PPEMN9
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) December 13, 2019
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि अतिथि विद्वानों के हर प्रयास में मैं उनके साथ हूं. यूजीसी के नॉर्म हैं. पीएचडी के साथ आप पीएससी के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं. रूल्स हैं इसलिये पीछे के दरवाजे से कुछ संभव नहीं है. इसके लिए कमेटी बनी हुई है.
जानकार कहते हैं कि विवाद खत्म करने के लिए सांख्येत्तर पद बनाने की जरूरत है. यानी जैसे-जैसे नियमित पद सेवानिवृत्ति या दूसरी वजहों से खाली होंगे सांख्येत्तर पद पर नियुक्त लोग नियमित हो जाएंगे.
VIDEO : मध्यप्रदेश में अतिथि विद्वान, गुजरात में छात्र सड़कों पर
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