रसोई गैस यानी LPG गैस सिलेंडर की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. बढ़ोतरी उज्ज्वला योजना (Ujjwala Yojana) के लाभार्थियों को दिए जाने वाले सब्सिडी वाले सिलेंडर सहित सभी श्रेणियों में हुई है. एक माह में रसोई गैस सिलेंडर के दाम चौथी बार बढ़े हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बहुल जिलों में कई परिवार ऐसे हैं, जो फिर से चूल्हे पर लौट आए हैं. गुजरात की सीमा से सटे आदिवासी बहुल झाबुआ के अगलगांव में राजेश और उनकी पत्नी फिर से चूल्हा जलाने को मजबूर हो गए हैं. उज्जवला में मिले चूल्हे और सिलेंडर को हफ्ते दस दिन में साफ कर लेते हैं. वे मजदूरी करते हैं.
दंपति का कहना है कि महंगाई में सिलेंडर भरवाना उनके बस की बात नहीं है. घर चलाएं या गैस भरवाएं. सिलेंडर भरवाएं तो चूल्हा काम में आए. गैस के चूल्हे पर खाना बनाते हैं तो अच्छा रहता है. लकड़ी वाले चूल्हे पर धुंआ लगता है. पैसे नहीं आए इसलिए सिलेंडर नहीं भरवाया. राज्य के दूसरे छोर पर महाराष्ट्र से लगा आदिवासी बहुल बालाघाट, यहां भी शारदा, मुन्नीबाई जैसी महिलाओं को चूल्हे पर लौटना पड़ा है. शारदा साफ कहती हैं पैसा नहीं है, इसलिए गैस नहीं भरवाई. वहीं मुन्नीबाई वंशकार का कहना है हमारे पास पैसे नहीं है, कैसे भरवाएंगे, 800 रुपये गैस हो गई है.
गुजरात की सीमा से सटे आदिवासी बहुल झाबुआ के अगलगांव में राजेश और उनकी पत्नी चूल्हे पर लौट आए हैं,#उज्जवला में मिले चूल्हे और सिलेंडर को हफ्ते दस दिन में साफ कर लेते हैं. मज़दूरी करते हैं कहते हैं महंगाई में #सिलेंडर भरवाना उनके बस की बात नहीं #Cooking #LPGPriceHike #PetrolPrice pic.twitter.com/kL35nExVvp
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) March 3, 2021
उज्ज्वला के कई हितग्राही तो चूल्हे पर लौट आए हैं लेकिन चाय की दुकान चलाने वाले अनिल जैन या अनीता श्रीवास्तव जैसी गृहणियों के पास तो विकल्प भी नहीं है. अनिल कहते हैं गैस के दाम बढ़ने से बहुत नुकसान हो रहा है. लागत ज्यादा आ रही है, मुनाफा कम हो रहा है. अनीता श्रीवास्तव का कहना है गैस के दाम निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं. इससे बहुत प्रभाव पड़ रहा है. पहले 450 रुपये था, अब 800 रुपये. बेहद परेशानी हो रही है घर चलाने में, पूरी व्यवस्था बिगड़ती जा रही है.
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हालांकि सरकार को राजेश या मुन्नीबाई के घर को नहीं देखना, वो चाहती है योजना के विज्ञापन को भी मीडिया दिखाए. कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग उज्ज्वला के सिलेंडर के सवाल पर प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहने लगे कि पहली बार कोई प्रधानमंत्री ऐसे आए हैं, जिन्होंने उन मांओं की फिक्र की, जिनकी आंखें खराब हो जाती थीं लकड़ी के चूल्हे से, जिनको सांस की बीमारी हो जाती थी. जब हमने पूछा वो इश्तेहार तो पुराना हो गया, कहां बंट रहे हैं अब सिलेंडर तो उन्होंने कहा कि कहां से इश्तेहार हो गया, जिनको मिला है, आप उनकी बात नहीं कर रहे हैं. जब हमने कहा कि हम आदिवासी बहुल जिलों की बात कर रहे हैं, तो उनका जवाब था कि आप क्या मालूम कहां से देखकर आए हैं. 1-2 कहां के फुटेज, जो आपके पास हैं, उसके बारे में वह नहीं बोल सकते लेकिन हमारी सरकार ने रसोई से धुंआ हटाने के लिए काम किया है.
जब हमने उनसे कहा कि शहडोल जैसे जिलों में एक आंकड़ा है कि लगभग 85 फीसदी लाभार्थी चूल्हे पर लौट आए हैं तो उनका कहना था पता नहीं क्यों ऐसे आंकड़े आपके पास ही आते हैं. कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है. कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा सब कह रहे हैं कि 7 साल पहले मोदी जी कहते थे कि जीडीपी बढ़ेगी. अब सब कह रहे हैं कि इस जीडीपी का मतलब गैस, पेट्रोल, डीजल है क्योंकि उसकी ही कीमत बढ़ी है. आम उपभोक्ता पर दबाव बढ़ रहा है. स्पष्ट हो रहा है कि मध्य प्रदेश में महंगाई बढ़ती जा रही है. बताते चलें कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत ₹1600 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इस राशि से लाभार्थी गैस कनेक्शन ले सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021–22 के बजट में एक करोड़ और लोगों को एलपीजी गैस कनेक्शन देने की घोषणा की है. अखबारी इश्तेहार है, उसमें सरकार ये तो बताती है कि कितने करोड़ लोगों को उज्ज्वला का कनेक्शन दिया लेकिन ये छिपाती है कि कितने हितग्राही महंगाई की वजह से चूल्हे के अंधेरे में लौट आए हैं.
VIDEO: रवीश कुमार का प्राइम टाइम : ‘उज्ज्वला' से चूल्हे की तरफ लौटे आदिवासी परिवार
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