मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के बाद कमलनाथ ने शुक्रवार को 15 महीनों के बाद अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दो दिनों तक चली सुनवाई के बाद कमलनाथ सरकार को शुक्रवार को शाम 5 बजे तक फ्लोर टेस्ट के आदेश दिए हैं. लेकिन कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा, ''आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है, लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं. मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता. मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूंगा.''
आज मध्यप्रदेश की उम्मीदों और विश्वास की हार हुई है , लोभी और प्रलोभी जीत गए हैं ।
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) March 20, 2020
मध्यप्रदेश के आत्मसम्मान को हराकर कोई नहीं जीत सकता।
मैं पूरी इच्छाशक्ति से मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करता रहूँगा।
बता दें कि कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा था कि मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र फिर से बुलाया जाए और कमलनाथ सरकार शुक्रवार शाम 5 बजे बहुमत हासिल करे. हालांकि, रात एक बजे तक विधानसभा की कार्यसूची जारी नहीं हुई थी, नाटकीय घटनाक्रम में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव देर रात विधानसभा पहुंचे और अध्यक्ष की मेज पर अपनी चिठ्ठी और फैसले की प्रति रखकर आए.
इस्तीफे की घोषणा से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनवाया और कहा कि हमने आम लोगों के लिए काम किया, लेकिन ये भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आया. हमारी सरकार पर किसी तरह का आरोप नहीं लगा. बीजेपी ने किसानों के साथ धोखा कियास लेकिन हमें उनके लिए काम नहीं करने दिया.
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