मध्यप्रदेश कमलनाथ सरकार एक बार फिर संकट में घिरती नजर आ रही है. बताया जा रहा है कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के कुछ और विधायक बेंगलुरू चले गए हैं. इन विधायकों की संख्या 15 से 17 बताई जा रही है जिनमें से ज्यादातर विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे से हैं. सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक जो पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं, वो एक चार्टर्ड विमान से बीजेपी शासित कर्नाटक के बेंगलुरू चले गए हैं. बागी कांग्रेस विधायकों व अन्य, जो पाला बदलने के लिए तैयार रहे हैं, उनके लिए बेंगलुरू सुर्खियों में रहा है. सूत्रों के अनुसार कभी गांधी परिवार के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल दिल्ली में हैं और कांग्रेस एक समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा.
49 वर्षीय सिंधिया दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में तब पिछड़ गए थे जब उन्हें केवल 23 विधायकों का ही समर्थन मिल सका था जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ा योगदान दिया था. कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे पार्टी की राज्य इकाई पर भी उनका ही नियंत्रण रहा.
तब सिंधिया को पिछले साल के लोकसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर शांत करने की कोशिश की गई लेकिन वहां कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में जारी सियासी संकट के मद्देनजर सोमवार को ही पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात थी और उसके बाद कहा था कि सब ठीक है. लेकिन लगता नहीं की वहां सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है.
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा था कि बैठक में राज्य के सियासी संकट और राज्यसभा चुनाव पर चर्चा हुई. मंत्रिमंडल में विस्तार पर भी चर्चा हुई. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा, 'पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात हुई, तमाम मुश्किलों पर बात हुई. राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर बातचीत हुई है और जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, उसको लेकर भी बातचीत हुई है.' हालांकि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी और उनके कई करीबियों के संपर्क में नहीं होने के सवाल पर कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया था.
इससे पहले कांग्रेस के 4 विधायक बेंगलुरु चले गए थे जिनमें से दो वापस लौट आए हैं. हालांकि दो अन्य विधायकों से अबतक कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है, जो लौटे हैं वो सीधे मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, जो रुके हैं उन्हें भी मंत्री बनना है. सबको मंत्री बनना है.
राज्य में 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से 34 सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 29 मंत्री है. 5 मंत्री और शामिल किए जा सकते हैं. वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं. बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं.
मध्यप्रदेश में रिक्त हो रहीं तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन 13 मार्च तक किए जा सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी की विधानसभा में मौजूदा सीटों को देखते हुए कांग्रेस के खाते में तीन में से दो सीटें आने की संभावना बनी हुई है. कांग्रेस में यह दो सीटें सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन चल रहा है. मध्यप्रदेश से कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को बड़ा दावेदार माना जा रहा है.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछले मंगलवार से सियासी ड्रामा जारी है. बीजेपी पर कांग्रेस का आरोप है कि उसने उसके चार विधायकों का अपहरण कर लिया. यह कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए किया गया. हालांकि बीजेपी ने इस आरोप से इनकार किया है. बीजेपी के नेता नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि यह सरकार खुद ब खुद गिर जाएगी, बीजेपी को उसे गिराने की जरूरत नहीं है. दूसरी तरफ लापता चार विधायकों में से एक निर्दलीय एमएलए सुरेंद्र सिंह 'शेरा भैया' शनिवार को भोपाल लौट आए और उन्होंने अपहरण की बात से इनकार किया. मध्यप्रदेश में मचे इस सियासी घमासान के बीच राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इन हालात में कांग्रेस के सामने कमलनाथ सरकार को सुरक्षित रखने और साथ ही राज्यसभा की दो सीटें सुनिश्चित करने की भी चुनौती है.
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