खुशबू खान ने बयान की अपनी तकलीफ
भोपाल:
देश का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ी को वहां की सरकार कई तरह की सुविधाएं देती है ताकि वह खिलाड़ी अपने गेम को और बेहतर कर पाए. लेकिन हमारे देश के खिलाड़ी इतने खुशनसीब नहीं हैं. उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए रोजमर्रा होने वाली तकलीफों से खुद ही दो चार होना पड़ता है. इन सब के बाद भी वह देश के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून को नहीं छोड़ते. ऐसी ही एक खिलाड़ी हैं भारतीय महिला जूनियर हॉकी टीम की गोलकीपर खुशबू खान. जो अपने परिवार के साथ झुग्गी में रहने को मजबूर हैं. गौरतलब है कि खुशबू कुछ दिन पहले ही बेल्जियम के एंटवर्प में 6 देशों के साथ टूर्नामेंट खेलकर लौटी हैं. भारतीय जूनियर टीम में भोपाल से चुनी जाने वाली वह पहली महिला खिलाड़ी हैं. ऐसे में खुशबू जिन हालात में रहकर देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं वह कहीं न कहीं खिलाड़ियों को लेकर राज्य सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़े करता है.
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बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे वाले राज्य की खुशबू अपना आशियाना बचाने की लड़ाई लड़ भी रही है. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह 5 बजे भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिये खुशबू खान अपना किट बांधकर निकलती हैं. कभी चलाने को बाइक मिल जाती है, नहीं तो 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा करना पड़ता है. मैदान में पुरुष खिलाड़ियों के साथ अभ्यास कर अपने खेल कौशल को निखारतीं हैं.16 साल की उम्र में वो देश के लिये खेल लीं, अब चाहती हैं. भारतीय सीनियर महिला टीम में जगह बनाकर ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना. " बेल्जियम में बहुत अच्छा रहा, अभी टारगेट है ओलिंपिक में खेलना. प्रैक्टिस बहुत अच्छी चल रही है अगले टूर में भी अच्छा करूंगी , सीनियर टीम में बहुत जल्दी देखेंगे, ओलिंपिक में गोल्ड लाना है देश के लिये.
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"खुशबू के पिता सब्बीर खान ऑटो चलाकर अपने परिवार को पालते हैं, खुशबू का परिवार 18 साल से झुग्गी में रहता है. जिसमें माता-पिता के अलावा तीन बहनें, दो भाई सहित 9 सदस्य हैं. घर छोटा है उस पर भी प्रशासन की नजर थी. एक पिता चाहते हैं चैंपियन बेटी को सारी सहूलियतें मिलें जिसकी वो हकदार है. "हमको प्रधानमंत्री योजना में कहा है जब भी बड़े घर बनेंगे तो देंगे, बच्ची ने कहा था ग्राउंड के आसपास देने क्योंकि 12 किलोमीटर पैदल चलती है, उन्होंने कहा यहां नहीं है जब बनेगा तो शिफ्ट कर देंगे. मुख्यमंत्री जी भांजियों की मदद के लिये तैयार रहते हैं तो हमारी बेटी को भी सारी सुविधा मिले. "हमने कहानी सरकार को सुनाई तो मदद का भरोसा मिला.
राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा "हम जरूर देंखेंगे, पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे हर संभव सहायता करेंगे. "पशु चिकित्सालय के पास घर होने की वजह से कुछ महीने पहले खुशबू की झुग्गी को चिकित्सालय प्रबंधन तोड़ना चाह रहा था, म के लिए गोल बचाने वाली इस खिलाड़ी ने अपने आशियाने को बचाने के लिए भी लड़ाई लड़ी, अब भरोसा है. घर का भी, देश के लिये गोल्ड का भी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे वाले राज्य की खुशबू अपना आशियाना बचाने की लड़ाई लड़ भी रही है. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वह रोज सुबह 5 बजे भोपाल के ऐशबाग स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिये खुशबू खान अपना किट बांधकर निकलती हैं. कभी चलाने को बाइक मिल जाती है, नहीं तो 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही पूरा करना पड़ता है. मैदान में पुरुष खिलाड़ियों के साथ अभ्यास कर अपने खेल कौशल को निखारतीं हैं.16 साल की उम्र में वो देश के लिये खेल लीं, अब चाहती हैं. भारतीय सीनियर महिला टीम में जगह बनाकर ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना. " बेल्जियम में बहुत अच्छा रहा, अभी टारगेट है ओलिंपिक में खेलना. प्रैक्टिस बहुत अच्छी चल रही है अगले टूर में भी अच्छा करूंगी , सीनियर टीम में बहुत जल्दी देखेंगे, ओलिंपिक में गोल्ड लाना है देश के लिये.
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"खुशबू के पिता सब्बीर खान ऑटो चलाकर अपने परिवार को पालते हैं, खुशबू का परिवार 18 साल से झुग्गी में रहता है. जिसमें माता-पिता के अलावा तीन बहनें, दो भाई सहित 9 सदस्य हैं. घर छोटा है उस पर भी प्रशासन की नजर थी. एक पिता चाहते हैं चैंपियन बेटी को सारी सहूलियतें मिलें जिसकी वो हकदार है. "हमको प्रधानमंत्री योजना में कहा है जब भी बड़े घर बनेंगे तो देंगे, बच्ची ने कहा था ग्राउंड के आसपास देने क्योंकि 12 किलोमीटर पैदल चलती है, उन्होंने कहा यहां नहीं है जब बनेगा तो शिफ्ट कर देंगे. मुख्यमंत्री जी भांजियों की मदद के लिये तैयार रहते हैं तो हमारी बेटी को भी सारी सुविधा मिले. "हमने कहानी सरकार को सुनाई तो मदद का भरोसा मिला.
राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा "हम जरूर देंखेंगे, पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे हर संभव सहायता करेंगे. "पशु चिकित्सालय के पास घर होने की वजह से कुछ महीने पहले खुशबू की झुग्गी को चिकित्सालय प्रबंधन तोड़ना चाह रहा था, म के लिए गोल बचाने वाली इस खिलाड़ी ने अपने आशियाने को बचाने के लिए भी लड़ाई लड़ी, अब भरोसा है. घर का भी, देश के लिये गोल्ड का भी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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