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This Article is From Feb 05, 2018

बीजेपी शासित राज्य अवैध उत्खनन के मामले में पहले और दूसरे नंबर पर, सरकारी आंकड़ों से मिली जानकारी

केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में दिए गए जवाब में माना है कि मध्य प्रदेश अवैध खनन के मामले में नंबर दो पर है.

बीजेपी शासित राज्य अवैध उत्खनन के मामले में पहले और दूसरे नंबर पर, सरकारी आंकड़ों से मिली जानकारी
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
भोपाल: कुपोषण ओर बलात्कार के मामलों में देश में नंबर 1 होने के बाद मध्य प्रदेश अब अवैध उत्खनन के मामले में देश में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है. इसकी तस्दीक केन्द्र सरकार के आंकड़ों ने की है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि इनमें एफआईआर महज़ कुछ फीसद मामलों में ही दर्ज हुई हैं. मध्य प्रदेश में राजगढ़, भिंड हो या छिंदवाड़ा धरती का सीना चीरकर अवैध उत्खनन की तस्वीरें पूरे प्रदेश से आती रहती हैं. यही वजह है केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में दिए गए जवाब में माना है कि मध्य प्रदेश अवैध खनन के मामले में नंबर दो पर है. आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में अवैध उत्खनन के सबसे ज्यादा 31173 मामले महाराष्ट्र से आए, लेकिन एफआईआर 794 में दर्ज हुई. मध्य प्रदेश से 13880 मामले आए, लेकिन एफआईआर दर्ज हुई 516 में, जबकि आंध्र प्रदेश से 9703 मामले आए एफआईआर हुई 3 में.

सरकार आंकड़ों से फिक्रमंद तो है, लेकिन राजस्व बढ़ाने के नाम पर पीठ भी थपथपा रही है. खनन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, 'जिस आंकड़े की बात कर रहे हैं वो चिंता का विषय है लेकिन जब सरकार बनी थी तब खनिज राजस्व 600 करोड़ आता था, आज 4500 करोड़ आ रहा है क्योंकि हमने उन लोगों पर अंकुश लगाया, शिकंजा कसा जिनको कांग्रेस के शासनकाल में संरक्षण मिलता था और नीचे तक निर्देश दिये कि अवैध उत्खनन को बर्दाश्त नहीं करना है.

कांग्रेस इसे सियासी संरक्षण में खुली लूट बताती है, निशाने पर सीधे सरकार के मुखिया हैं. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के के मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा, 'यहां तो अवैध उत्खनन का नेतृत्व ही मुख्यमंत्री और उनका परिवार कर रहा है. इन्हें फर्स्ट पर आना था, ये दांवबाजी है. यदी 4500 करोड़ राजस्व है तो अवैध अरबों में हुआ है.'

VIDEO: अवैध खनन का माफिया, कैसे लड़ें लड़ाई...

मिश्रा ने सवाल उठाते हुए कहा, 'डंपर किसके चल रहे हैं, रजिस्ट्रेशन किसका है, यदि मंत्रीजी गौर करेंगे तो प्रदेश-देश से माफी मांगनी पड़ेगी. विक्रम उसेंडी ओर हरनाम सिंह राठौड़ के सवालों के जवाब में केन्द्र सरकार ने ये आंकड़े सदन के पटल पर रखे थे.

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