मध्यप्रदेश सरकार को हाईकोर्ट को बताना होगा कि उसने हनी ट्रैप सेक्स स्कैंडल की जांच में जुटे एसआईटी प्रमुख को बार-बार क्यों बदला. हाईकोर्ट ने पूछा कि मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर क्यों बदला जा रहा है. इसके पीछे क्या ठोस वजह है. दरअसल एडवोकेट अशोक चितले, मनोहर दलाल, लोकेंद्र जोशी ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने और जांच की निगरानी हाईकोर्ट से कराने की मांग को लेकर आवेदन दाखिल किया था. इसकी सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिए.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के गृह विभाग के सचिव को इस पूरे मामले की जांच रिपोर्ट और सदस्यों को बदलने का कारण लिखित में कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है. रिपोर्ट 21 अक्टूबर के पहले पेश करना है. 21 अक्टूबर को ही कोर्ट इस मामले पर फिर सुनवाई करेगी.
गौरतलब है कि एसआईटी अब राजेंद्र कुमार की अगुवाई में काम कर रही है. पहले एसआईटी चीफ संजीव शर्मा थे, जिन्हें 23 सितंबर को एसआईटी गठित होने के 24 घंटे के अंदर डी श्रीनिवास वर्मा से जांच की ज़िम्मेदारी मिली थी.
इस बीच इस मामले में पांच आरोपियों में से बरखा सोनी का पति अपनी पत्नी के बचाव में सामने आया है. अमित सोनी ने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा कि उसकी पत्नी निर्दोष है. अमित सोनी राज्य कांग्रेस सोशल मीडिया और आईटी विभाग का उपाध्यक्ष था. हनीट्रैप कांड के सामने आने के तुरंत बाद, प्रदेश कांग्रेस ने कहा कि उसने जून में ही अमित को बर्खास्त कर दिया था.
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मीडिया से बात करते हुए अमित ने कहा “अगर मैं वाकई ताकतवर नेताओं और मंत्रियों जैसे प्रभावशाली लोगों को जानता तो हमें गिरफ्तार नहीं किया जाता.'' सोनी ने कहा, "ना तो मामले की आरोपियों ने, न ही शिकायतकर्ता ने मेरी पत्नी की पहचान की है."
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