Madhya Pradesh Honey Trap Case: मध्यप्रदेश में हाल ही में जिस हाई-प्रोफाइल हनी ट्रैपिंग रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, उसमें पुलिस 200 से ज्यादा नंबरों को खंगाल रही है. यह मामला इसलिये भी गंभीर है क्योंकि सरकार को लगता है कि विपक्ष ने कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए पूरा जाल बिछाया था. राज्य के कानून और जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि “पूरे बीजेपी वाले शामिल हैं, सरकार को अस्थिर करने के लिये इन्होंने इस तरह का नाटक किया है लेकिन मध्यप्रदेश की पुलिस और गृहमंत्री ने इसपर नज़र रखी है, पूरी जानकारी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी को दे रहे हैं. अस्थिर करने के लिये बीजेपी कर रही है लेकिन वो सफल नहीं होंगे.''
वैसे कथित रैकेट के तार सिर्फ मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि कुछ पड़ोसी राज्यों से भी जुड़े हैं. सूत्रों के मुताबिक इनमें से एक महिला का संबंध महाराष्ट्र के मराठवाड़ा के एक बड़े नेता से भी है. जांच में पता चला है कि महाराष्ट्र में इस नेता की बदौलत आरोपी के एनजीओ को कौशल विकास से संबंधित काम मिले.
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यही नहीं एक और आरोपी जो भोपाल में कारोबार करती है, उसने मध्यप्रदेश में अपने राजनीतिक और नौकरशाही संपर्कों की मदद से कई सार्वजनिक उपक्रमों के लिये भी छोटे मोटे अनुबंध हासिल किये. इसी रैकेट में गिरफ्तार की गई दो अन्य महिलाएं भी मध्यप्रदेश के दूसरे सरकारी विभागों से विशेष रूप से कौशल विकास प्रशिक्षण से संबंधित कार्यक्रमों के तहत काम पाने में कामयाब रहीं.
गिरोह इतना शातिर था कि उसे पता था कि नकदी का लेनदेन उसे परेशानी में डाल सकता है, इसलिये अपने शिकार से वो ज़मीन, फ्लैट और महंगी कारें लेती थीं.
मध्यप्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों द्वारा लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं. उन्होंने कहा, “सिर्फ हनी-ट्रैप के कारण कोई भी सरकार गिर सकती है. यदि कथित हनी-ट्रैप के कारण वर्तमान सरकार गिर सकती है तो आप बहुत अच्छी तरह से कल्पना कर सकते हैं कि यह सरकार कितनी नाजुक है.”
वैसे सागर जिले की रहने वाली एक आरोपी पूर्व में बीजेपी से जुड़ी रही है. माना जाता है कि कुछ सालों पहले तक वो बीजेपी के कई नेताओं के साथ संपर्क में थी. 2013 के विधानसभा चुनावों में उसने सागर विधानसभा सीट से टिकट हासिल करने की कोशिश की, बाद में मेयर पद के लिये भी भागदौड़ की. ऐसा माना जाता है कि वह एक पूर्व मंत्री की करीबी है, जिसके साथ वो विदेश यात्रा पर भी गई थी. रैकेट में शामिल दूसरी महिला का पति मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक प्रकोष्ठ का पदाधिकारी था.
इस बीच, इंदौर की एक अदालत ने भोपाल से गिरफ्तार तीन महिलाओं को पुलिस रिमांड नहीं बल्कि न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इस मामले की तह तक जाने के लिये पुलिस उनसे और पूछताछ करना चाहती थी.
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