मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार की कर्ज माफी योजना की वाहवाही जहां राहुल गांधी कर रहे हैं, वहीं प्रदेश के कई किसान इस योजना को लेकर भ्रम की हालत में हैं. वजह है कि इस योजना का क्रियान्वयन कैसे होगा उनके नियम क्या हैं ये साफ नहीं हुए हैं. कई किसानों ने तो यह तक धमकी दी है कि अगर उनके साथ धोखा हुआ तो वो लोकसभा चुनाव में बदला ले लेंगे... कुछ खुश हैं...कुछ रास्ते बता रहे हैं, जिनपर सरकार काम करे तो उन्हें कर्जमाफी की ज़रूरत ना पड़े.
शपथग्रहण के बाद बोले कमलनाथ, 'किसानों का कर्ज माफ करने में सरकारी बैंकों को पेटदर्द क्यों'
45 साल के संजय यादव थूनाखुर्द में रहते हैं. 4 एकड़ खेती हैं, जिससे 6 लोगों का परिवार पलता है. फिलहाल गेंहू लगाया है. बाकी बचे हिस्से में बैंगन. सरकारी बैंक से एक लाख, 90 हजार का कर्ज है. सहकारी बैंक मिलाकर कुल ढाई लाख का कर्ज है. सरकार ने कर्ज माफी का ऐलान किया, लेकिन संजय खुश नहीं हैं. संजय बताते हैं कि, 'कर्ज जब हमने लिया था उसे हर 6 महीने में पलटी करना पड़ता है. हम महीना भर लेट होते हैं तो बैंक वाले मैसेज करते हैं उसके भी पैसे लगते हैं. डर के मारे, दबाव की वजह से हम उठापटक करके एक दिन के लिये पैसा जमा करते हैं दूसरे दिन फिर निकालते हैं. एक दिन का पैसा साहूकार से लेना पड़ता है एक दिन का वह 2 से 3 हजार भी ले लेता है. व्यक्तिगत तौर पर इससे कोई फायदा नहीं होगा. जून-जुलाई में पलटी कर आया, क्योंकि मार्च में फसल भी नहीं बिकी थी तो हम पैसा लाए कहां से.
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही कमलनाथ ने वादे के मुताबिक सबसे पहले किया यह काम...
वहीं, अब्दुल्लापुर के चौथमाल यादव के पास लगभग 3 एकड़ की खेती है. सोसायटी और बैंक ऑफ इंडिया को मिलाकर लगभग एक लाख का कर्ज है. 31 मार्च तक बैंक को पैसा नहीं दिया. अब खुश हैं कि पूरा कर्ज माफ हो जाएगा. चौथमाल ने कहा,' सरकार से हम खुश हैं.
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उधर, सूरज यादव के घर में 22 लोगों का परिवार है, गेंहू और चना बोया है. लगभग 5 एकड़ खेती है डेढ़ लाख का कर्ज है. केसीसी से घर खर्च के लिए कर्ज लिया था. पैसा वापस करके नया कर्ज लिया फिर भी खुश हैं. उन्होंने कहा कि सरकार बनकर आएगी बहुत हद तक किसानों को मदद मिलेगी.
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जमुनिया तालाब के राजू राठौड़ ने 4 एकड़ में गेंहू लगाया 70-80 हजार का खर्च आता है. फसल बेचकर इतना ही पैसा मिलता है. पानी नहीं है सिंचाई के लिए कुंआ खोदने के लिये कर्ज लिया था. लगभग 3 लाख का कर्ज है, खुश है कि 2 लाख माफ हो जाएगा. फिलहाल डिफॉल्टर है. राजू राठौड़ ने कहा, कर्ज चुका नहीं पाया था, फसल नहीं हुई थी, कुछ तो माफ हो जाएगा. बहुत बड़ी राहत है. धन्यवाद है मुख्यमंत्री जी का, सिंचाई हो तो दिक्कत नहीं आए, सही मूल्य और सिंचाई पर ध्यान दिया तो कर्ज माफी की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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वहीं, 37 साल के नवीन मेवाड़ा पचामा के रहने वाले हैं. पानी की कमी थी सो डेढ़ एकड़ में फूल लगा लिए, 31 मार्च से पहले 90 हजार का कर्ज भर दिया. फिर अप्रैल में कर्ज लिया. वो सरकार से खुश नहीं हैं. नवीन ने कहा, 'मैंने 80, 000 डबल से अप्रैल में कर्ज निकाला, फिर राहुल गांधी ने कह दिया कर्ज माफ करेंगे यही सोचकर सरकार चुनी अब हमारा तो होगा नहीं, नया वादा दे दिया 31 मार्च के बाद जो कर्ज लिया है वही माफ होगा हमारा नहीं होगा. वचनपत्र में तारीख लिखनी थी. यहां नियम इतने आ गए हैं, हर किसान डिफॉल्टर होने की वजह से पैसा भरता है.
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सीहोर जिले के कलेक्टर तरूण पिथोड़े ने कहा, पूरे जिले में लगभग 2 लाख किसान हैं, जिसमें अकेले सहकारी बैंकों के 53000 डिफॉल्टर है. इन पर लगभग 240 करोड़ रु बकाया है. सरकार कर्ज़ माफी के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनायेगी जिसमें किसानों को अपना पंजीकरण कराना होगा. इसके लिये आधार कार्ड ज़रूरी होगा, जिससे किसान के कई खातों को छांटा जा सके, क्योंकि कर्ज माफी एक ही खाते से होगी. सरकारी कर्मचारी, इनकम टैक्स और 15000 की पेंशन वाले किसानों को भी इस स्कीम से दूर रखा जाएगा. योजना की मियाद 1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2018 तक रखी गई है, इसके बाद की तारीख से कर्ज माफी नहीं मिलेगी. बस इसी से किसान नाराज़ हैं. खेत से लेकर मंडी तक यही चर्चा है.
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सीहोर जिले के बाद हम विदिशा के मड़वाई पहुंचे...गांव पूसा बासमती और अपने शर्बती गेंहू से समृद्ध है, लेकिन यहां भी लोग मानते हैं कर्ज माफी से ज्यादा बड़े मसले उनके सामने हैं. विदिशा मंडी में फिलहाल चना, सोयाबीन पहुंच रहा है. यहां भी किसानों का कहना है मंडी में नकद, फसल की सही कीमत मिले तो कर्ज लेने की ज़रूरत ही नहीं. सरकार पैसे जुटाने के लिए बॉन्ड बेचने और आंध्रप्रदेश की तर्ज पर सरकारी बैंकों को 3-5 साल में ब्याज सहित पैसे लौटाने के बारे में सोच रही है. किसानों की नाराजगी को कांग्रेस भ्रम मान रही है, वहीं बीजेपी को लगता है कर्जमाफी छलावा है.
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कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि किसी प्रकार की भ्रम की स्थिति नहीं है. कांग्रेस ने जो वायदा किया था उसे निभाया है. 31 मार्च के सारे लोन समाप्त किया गया है. 40000 करोड़ की कर्जमाफी की गई है. इसके बाद भी कोई विसंगति है तो कोई भ्रम है तो उसे दूर करेंगे, क्योंकि ये वायदा राहुल जी का है उसे निभाने सरकार प्रतिबद्ध भी है समर्पित भी. वहीं, पूर्व सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, 'ये राजनीतिक स्टंटबाजी है छलावा है.
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बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार लगभग 1 लाख 87 हजार करोड़ के कर्जे में है. ऐसे में सरकार ऐलान से वाहवाही तो लूट रही है, लेकिन क्रियान्वयन में ज़रा सी ढिलाई से किसान तो नाराज होगा ही पहले से ही पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था कहीं गढ्ढे में ना गिर जाए.
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