मध्यप्रदेश विधानसभा परिसर में आंख और मुंह पर पट्टी लगाकर बैठे कांग्रेस के विधायक.
भोपाल:
मध्यप्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र मंगलवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. राज्य की 14वीं विधानसभा का यह आखिरी सत्र था. सत्र कुल पांच दिन चलना था लेकिन दो दिन में करीब 5 घंटे ही सदन चल सका. इस दौरान भी भारी हंगामा हुआ. मिनटों में 11 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट बगैर चर्चा के पास हो गया. कांग्रेस इसके विरोध में तीन दिन समानांतर विधानसभा चला रही है.
कांग्रेस कह रही है कि यहां सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कर सरकार के कथित घपले घोटालों को उजागर किया जाएगा. विरोध के दौरान आंखों पर पट्टी बांधकर कांग्रेस विधायक अध्यक्ष की भूमिका में बैठे रहे. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि अध्यक्ष अपने विवेक से कुछ बोलते ही नहीं, न सीताशरण जी को कुछ दिखता है. वे सिर्फ नरोत्तम मिश्रा को देखते हैं. सत्र न चलने के दोषी मुख्यमंत्री, नरोत्तम मिश्रा और सीताशरण शर्मा हैं.
यह भी पढ़ें : कांग्रेस पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटी, कमेटियां गठित
मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में 14वीं विधानसभा के दौरान सदन की कार्यवाही सबसे कम 130 दिन ही चली. 13वीं विधानसभा में 168 दिन काम हुआ था और 12 वीं विधानसभा में 159 दिन. इससे पहले कांग्रेस के शासनकाल में यानी 11वीं विधानसभा में 289 दिन काम हुआ था तो वहीं 10वीं विधानसभा में 282 दिन.
14 वीं विधानसभा में 130 में से भी लगभग 50 दिन हंगामे की भेंट चढ़ गए. सरकार कह रही है, कांग्रेस के हंगामे से काम नहीं हुआ. सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा " कार्यमंत्रणा की बैठक में वक्त तय हुआ उसमें हर दल के नेता होते हैं, जो कार्यसूची बनाई गई उससे सदन चला. कल नहीं चला उसके पीछे कांग्रेस का गदर था. "
बहरहाल, बगैर चर्चा चुनावी मौसम में मध्यप्रदेश सरकार ने 11000 करोड़ का अनुपूरक बजट और 17 बिल पास करवा लिए. मध्यप्रदेश विधानसभा में अब अगला सत्र विधानसभा चुनाव के बाद ही होगा.
VIDEO : वोटरों ने घेरा कांग्रेस दफ्तर
14वीं विधानसभा में औसत देखें तो 25-26 दिन काम हुआ. यानी जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये हंगामे में बर्बाद हो गए. देखना होगा कि इस बर्बादी की भरपाई जनता बैलट से कैसे करेगी.
कांग्रेस कह रही है कि यहां सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कर सरकार के कथित घपले घोटालों को उजागर किया जाएगा. विरोध के दौरान आंखों पर पट्टी बांधकर कांग्रेस विधायक अध्यक्ष की भूमिका में बैठे रहे. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि अध्यक्ष अपने विवेक से कुछ बोलते ही नहीं, न सीताशरण जी को कुछ दिखता है. वे सिर्फ नरोत्तम मिश्रा को देखते हैं. सत्र न चलने के दोषी मुख्यमंत्री, नरोत्तम मिश्रा और सीताशरण शर्मा हैं.
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मध्यप्रदेश के संसदीय इतिहास में 14वीं विधानसभा के दौरान सदन की कार्यवाही सबसे कम 130 दिन ही चली. 13वीं विधानसभा में 168 दिन काम हुआ था और 12 वीं विधानसभा में 159 दिन. इससे पहले कांग्रेस के शासनकाल में यानी 11वीं विधानसभा में 289 दिन काम हुआ था तो वहीं 10वीं विधानसभा में 282 दिन.
14 वीं विधानसभा में 130 में से भी लगभग 50 दिन हंगामे की भेंट चढ़ गए. सरकार कह रही है, कांग्रेस के हंगामे से काम नहीं हुआ. सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कहा " कार्यमंत्रणा की बैठक में वक्त तय हुआ उसमें हर दल के नेता होते हैं, जो कार्यसूची बनाई गई उससे सदन चला. कल नहीं चला उसके पीछे कांग्रेस का गदर था. "
बहरहाल, बगैर चर्चा चुनावी मौसम में मध्यप्रदेश सरकार ने 11000 करोड़ का अनुपूरक बजट और 17 बिल पास करवा लिए. मध्यप्रदेश विधानसभा में अब अगला सत्र विधानसभा चुनाव के बाद ही होगा.
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14वीं विधानसभा में औसत देखें तो 25-26 दिन काम हुआ. यानी जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये हंगामे में बर्बाद हो गए. देखना होगा कि इस बर्बादी की भरपाई जनता बैलट से कैसे करेगी.
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