
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
भोपाल:
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि राज्य के किसानों की उपज समर्थन मूल्य से कम पर नहीं बिकने दी जाएगी, किसानों को भावांतर भुगतान योजना के जरिए महाबोनस देने की व्यवस्था की गई है. चौहान ने किसानों से ग्राम सभाओं को सीधे संबोधित (लाइव) करते हुए कहा, 'सरकार ने किसानों के लिए महाबोनस की व्यवस्था भावांतर भुगतान योजना द्वारा की है. इसका लाभ लेने के लिए पंजीयन करवाना अनिवार्य है. किसान भाई पंजीयन करवाने में चूके नहीं, अन्यथा योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा.'
मुख्यमंत्री चौहान ने किसानों द्वारा योजना में कम पंजीयन करवाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अपील की, कि वे अंतिम तिथि 15 अक्टूबर से पहले पंजीयन जरूर करवाएं. प्रदेश सरकार आम आदमी और गरीब किसान की सरकार है, जो संकट के समय हमेशा किसानों के साथ रही है.
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खेती को लाभकारी बनाने के लिए हर उपाय करती है. उन्होंने कहा कि बंपर उत्पादन के कारण फसलों के बाजार मूल्य में गिरावट हो गई थी. सरकार ने भंडारण आदि की दिक्कतों के बावजूद आठ रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की खरीदी कर, किसानों का नुकसान नहीं होने दिया. मूंग, तुअर आदि की बाजार मूल्य से करीब डेढ़ हजार रुपये अधिक पर खरीदी की. चौहान ने कहा कि किसान की फसल कम मूल्य पर नहीं बिकने देने की प्रतिबद्धता का सरकार ने पालन किया था, जिस पर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का व्यय किया गया.
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मुख्यमंत्री ने भावांतर भुगतान योजना में फसल के मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि आठ फसलों में से किसी फसल का मंडी में निर्धारित अवधि के दौरान विक्रय न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम और मंडल विक्रय दर से अधिक पर होता है, तो विक्रय की दर तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि किसान के खाते में जमा की जाएगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्यमंत्री चौहान ने किसानों द्वारा योजना में कम पंजीयन करवाने पर चिंता व्यक्त करते हुए अपील की, कि वे अंतिम तिथि 15 अक्टूबर से पहले पंजीयन जरूर करवाएं. प्रदेश सरकार आम आदमी और गरीब किसान की सरकार है, जो संकट के समय हमेशा किसानों के साथ रही है.
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खेती को लाभकारी बनाने के लिए हर उपाय करती है. उन्होंने कहा कि बंपर उत्पादन के कारण फसलों के बाजार मूल्य में गिरावट हो गई थी. सरकार ने भंडारण आदि की दिक्कतों के बावजूद आठ रुपये प्रति किलो की दर से प्याज की खरीदी कर, किसानों का नुकसान नहीं होने दिया. मूंग, तुअर आदि की बाजार मूल्य से करीब डेढ़ हजार रुपये अधिक पर खरीदी की. चौहान ने कहा कि किसान की फसल कम मूल्य पर नहीं बिकने देने की प्रतिबद्धता का सरकार ने पालन किया था, जिस पर एक हजार करोड़ रुपये से अधिक राशि का व्यय किया गया.
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