मध्य प्रदेश में खनन का माफिया का आतंक जारी है. मुरैना के देवरी गांव में डिप्टी रेंजर को अवैध खनन में लगे ट्रैक्टर ने कुचल दिया है. उसकी मौके पर ही मौत हो गई है. फिलहाल इस मामले की और जानकारी के लिये अभी इंतजार है. लेकिन इस घटना के बाद से इतना तो तय है कि मध्य प्रदेश में खनन माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि उनको पुलिस और प्रशासन का एकदम भय नहीं है. इसी साल फरवरी में आई एक रिपोर्ट की मानें अवैध खनन के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर है. इसकी तस्दीक केन्द्र सरकार के आंकड़ों ने की है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि इनमें एफआईआर महज़ कुछ फीसद मामलों में ही दर्ज हुई हैं. मध्य प्रदेश में राजगढ़, भिंड हो या छिंदवाड़ा धरती का सीना चीरकर अवैध उत्खनन की तस्वीरें पूरे प्रदेश से आती रहती हैं. यही वजह है केंद्रीय खनन मंत्रालय ने लोकसभा में दिए गए जवाब में माना है कि मध्य प्रदेश अवैध खनन के मामले में नंबर दो पर है. आंकड़ों के मुताबिक 2016-17 में अवैध उत्खनन के सबसे ज्यादा 31173 मामले महाराष्ट्र से आए, लेकिन एफआईआर 794 में दर्ज हुई. मध्य प्रदेश से 13880 मामले आए, लेकिन एफआईआर दर्ज हुई 516 में, जबकि आंध्र प्रदेश से 9703 मामले आए एफआईआर हुई 3 में.
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सरकार आंकड़ों से फिक्रमंद तो है, लेकिन राजस्व बढ़ाने के नाम पर पीठ भी थपथपा रही है. खनन मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, 'जिस आंकड़े की बात कर रहे हैं वो चिंता का विषय है लेकिन जब सरकार बनी थी तब खनिज राजस्व 600 करोड़ आता था, आज 4500 करोड़ आ रहा है क्योंकि हमने उन लोगों पर अंकुश लगाया, शिकंजा कसा जिनको कांग्रेस के शासनकाल में संरक्षण मिलता था और नीचे तक निर्देश दिये कि अवैध उत्खनन को बर्दाश्त नहीं करना है.
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