कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया...
मंदसौर:
मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फ़ायरिंग में पांच किसानों की मौत पर राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही. मंदसौर जिले में पुलिस फायरिंग में मरने वाले किसानों के परिजनों से मिलने जा रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और कांतिलाल भूरिया को पुलिस ने मंगलवार को उनके कई समर्थकों के साथ यहां जावरा के पास टोल नाके पर ऐहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया.
रतलाम जिले के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने कहा, 'हमने कांग्रेस नेताओं को पहले ही बता दिया था कि मंदसौर में धारा 144 लागू है, इसलिए उन्हें वहां नहीं जाने दिया जाएगा'. जावरा के नगर पुलिस अधीक्षक दीपक शुक्ला ने बताया, 'पुलिस ने सिंधिया, भूरिया और विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा सहित अन्य लोगों को धारा 151 के तहत हिरासत में लिया है'.
हिरासत में लिए जाने से पहले मंदसौर जाने से रोके जाने पर कांग्रेस नेताओं ने वहां जाने की मांग करते हुए सड़क पर ही धरना दिया. सिंधिया ने कहा कि मंदसौर में धारा 144 लागू है तो वह अकेले ही वहां जा रहे हैं.. फिर भी उन्हें मंदसौर जाने से रोका जा रहा है, 'यह हिटलरशाही' है.
बता दें कि हाल ही में राज्य में किसानों ने आंदोलन किया था. इस आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी. किसानों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 14 जून से 72 घंटे के सत्याग्रह पर बैठने वाले हैं. किसान आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी के बाद मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा खोल रखा है. उन्होंने इंदौर के MY अस्पताल में घायलों से मुलाकात की. सिंधिया ने इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पुलिस ने किसानों को एक-एक करके निशाना बनाया, उनसे बुरा सलूक किया. सिंधिया ने यह भी कहा कि उन अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही, जिन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया था.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले के रेहटी गांव में कर्ज के बोझ के तले दबे किसान दुलीचंद के ज़हर खाकर जान देने की ख़बर है. बताया जा रहा है कि 52 साल के दुलीचंद ने सोमवार को जहर खाकर खुदकुशी कर ली. उन पर 6 लाख से ज्यादा का कर्ज था, हालांकि डॉक्टर जहर से मौत से इनकार कर रहे हैं. तीन दिन पहले भी रायसेन में किशन सिंह मीणा ने खुदकुशी की थी.
कृषि उत्पादों की उचित कीमत और अन्य मांगों को लेकर एक जून से प्रदेश में शुरू हुआ किसान आंदोलन 6 जून को तब हिंसक हो गया था, जब मंदसौर जिले में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई. इसके बाद पश्चिमी मध्यप्रदेश के जिलों में किसान आंदोलन फैल गया. नीमच, धार, रतलाम, देवास, शाजापुर और अन्य जिलों में आगजनी की घटनाएं और बंद किए गए थे.
(इनपुट एजेंसी से भी)
रतलाम जिले के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने कहा, 'हमने कांग्रेस नेताओं को पहले ही बता दिया था कि मंदसौर में धारा 144 लागू है, इसलिए उन्हें वहां नहीं जाने दिया जाएगा'. जावरा के नगर पुलिस अधीक्षक दीपक शुक्ला ने बताया, 'पुलिस ने सिंधिया, भूरिया और विधायक महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा सहित अन्य लोगों को धारा 151 के तहत हिरासत में लिया है'.
हिरासत में लिए जाने से पहले मंदसौर जाने से रोके जाने पर कांग्रेस नेताओं ने वहां जाने की मांग करते हुए सड़क पर ही धरना दिया. सिंधिया ने कहा कि मंदसौर में धारा 144 लागू है तो वह अकेले ही वहां जा रहे हैं.. फिर भी उन्हें मंदसौर जाने से रोका जा रहा है, 'यह हिटलरशाही' है.
बता दें कि हाल ही में राज्य में किसानों ने आंदोलन किया था. इस आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी. किसानों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 14 जून से 72 घंटे के सत्याग्रह पर बैठने वाले हैं. किसान आंदोलन के दौरान हुई गोलीबारी के बाद मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोर्चा खोल रखा है. उन्होंने इंदौर के MY अस्पताल में घायलों से मुलाकात की. सिंधिया ने इसके बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पुलिस ने किसानों को एक-एक करके निशाना बनाया, उनसे बुरा सलूक किया. सिंधिया ने यह भी कहा कि उन अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही, जिन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया था.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के जिले के रेहटी गांव में कर्ज के बोझ के तले दबे किसान दुलीचंद के ज़हर खाकर जान देने की ख़बर है. बताया जा रहा है कि 52 साल के दुलीचंद ने सोमवार को जहर खाकर खुदकुशी कर ली. उन पर 6 लाख से ज्यादा का कर्ज था, हालांकि डॉक्टर जहर से मौत से इनकार कर रहे हैं. तीन दिन पहले भी रायसेन में किशन सिंह मीणा ने खुदकुशी की थी.
कृषि उत्पादों की उचित कीमत और अन्य मांगों को लेकर एक जून से प्रदेश में शुरू हुआ किसान आंदोलन 6 जून को तब हिंसक हो गया था, जब मंदसौर जिले में पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई. इसके बाद पश्चिमी मध्यप्रदेश के जिलों में किसान आंदोलन फैल गया. नीमच, धार, रतलाम, देवास, शाजापुर और अन्य जिलों में आगजनी की घटनाएं और बंद किए गए थे.
(इनपुट एजेंसी से भी)
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