सभी आरोपी बुरहानपुर जिले से सटे हुए खंडवा जिला जेल में बंद हैं...
भोपाल:
पाकिस्तान के आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी विजेता बनने पर कथित तौर पर पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाने के मामले में गिरफ्तार 15 आरोपियों को जमानत मिल गई है. प्रत्येक आरोपी को 50000 के निजी मुचलके पर छोड़ा गया. इससे पहले सबूतों के अभाव में पुलिस ने देशद्रोह का मामला हटा लिया था. इसके स्थान पर भादंवि की धारा 153ए (सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना) लगाई गई थी. रविवार को थाने में हाजिरी देनी होगी. सभी आरोपी बुरहानपुर जिले से सटे हुए खंडवा जिला जेल में बंद हैं.
हालांकि पुलिस के दावे पर अब भी सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल, पुलिस ने जिस शिकायतकर्ता की शिकायत पर मामला दर्ज करने का दावा किया है वह खुद कह रहा है कि उसने ऐसी कोई शिकायत नहीं की. यहां तक कि वह उस दिन गांव में मौजूद भी नहीं था.
बुरहानपुर पुलिस ने मामले में सुभाष कोली को मुख्य शिकायतकर्ता बनाया है लेकिन एनडीटीवी के साथ बातचीत में कोली ने कहा उन्हें जबरन गवाह बनाया गया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस को सूचित नहीं किया था. वह रविवार को एक पड़ोसी की मदद करने के लिए थाने गया थे जिसे नारे लगाने के आरोप में पुलिस ले गई थी. सोमवार को वह थाने में था इसलिए पुलिस ने उसे ही गवाह बना दिया. कोली ने कहा उस दिन नारे लगे लेकिन 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगे.
सुभाष कोली का पेशा डिश एंटीना ठीक करना है. उनकी शिकायत है पुलिस ने उनसे गलत बयान लेकर उनके गांव मोहाग के 15 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया, जबकि वह उस दिन गांव में मौजूद तक नहीं था. कोली ने बाकायदा अब कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि पुलिस ने 15 युवकों के खिलाफ झूठा केस गढ़ा है.
जबकि शाहपुर थाने के प्रभारी संजय पाठक ने पहले कहा था "सुभाष कोली ने सोमवार को गांव में पाक की जीत पर देश विरोधी नारे लगाने की शिकायत की थी. शिकायत के आधार पर 15 लोगों के खिलाफ धारा 120बी (साजिश) और 124ए (देश विरोधी गतिविधि) के तहत मामला दर्ज किया गया था.'
पुलिस अब कह रही है कि उसे कोली के दावों के बारे में नहीं पता. अगर औपचारिक शिकायत आई तो वे जांच करेंगे. एसपी आरआरएस परिहार ने कहा हमारे पास जो सूचना है, जब पुलिस वहां पहुंची उस वक्त भी आरोपी पटाखे फोड़ रहे थे. उन्हें रंगे हाथ पकड़ा है. जिसने पहली सूचना दी वह फरियादी है. अगर कुछ तथ्य आगे मिले तो हम जांच कराएंगे.
हालांकि पुलिस के दावे पर अब भी सवाल खड़े हो रहे हैं. दरअसल, पुलिस ने जिस शिकायतकर्ता की शिकायत पर मामला दर्ज करने का दावा किया है वह खुद कह रहा है कि उसने ऐसी कोई शिकायत नहीं की. यहां तक कि वह उस दिन गांव में मौजूद भी नहीं था.
बुरहानपुर पुलिस ने मामले में सुभाष कोली को मुख्य शिकायतकर्ता बनाया है लेकिन एनडीटीवी के साथ बातचीत में कोली ने कहा उन्हें जबरन गवाह बनाया गया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस को सूचित नहीं किया था. वह रविवार को एक पड़ोसी की मदद करने के लिए थाने गया थे जिसे नारे लगाने के आरोप में पुलिस ले गई थी. सोमवार को वह थाने में था इसलिए पुलिस ने उसे ही गवाह बना दिया. कोली ने कहा उस दिन नारे लगे लेकिन 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' के नारे लगे.
सुभाष कोली का पेशा डिश एंटीना ठीक करना है. उनकी शिकायत है पुलिस ने उनसे गलत बयान लेकर उनके गांव मोहाग के 15 लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर लिया, जबकि वह उस दिन गांव में मौजूद तक नहीं था. कोली ने बाकायदा अब कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि पुलिस ने 15 युवकों के खिलाफ झूठा केस गढ़ा है.
जबकि शाहपुर थाने के प्रभारी संजय पाठक ने पहले कहा था "सुभाष कोली ने सोमवार को गांव में पाक की जीत पर देश विरोधी नारे लगाने की शिकायत की थी. शिकायत के आधार पर 15 लोगों के खिलाफ धारा 120बी (साजिश) और 124ए (देश विरोधी गतिविधि) के तहत मामला दर्ज किया गया था.'
पुलिस अब कह रही है कि उसे कोली के दावों के बारे में नहीं पता. अगर औपचारिक शिकायत आई तो वे जांच करेंगे. एसपी आरआरएस परिहार ने कहा हमारे पास जो सूचना है, जब पुलिस वहां पहुंची उस वक्त भी आरोपी पटाखे फोड़ रहे थे. उन्हें रंगे हाथ पकड़ा है. जिसने पहली सूचना दी वह फरियादी है. अगर कुछ तथ्य आगे मिले तो हम जांच कराएंगे.
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