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This Article is From May 18, 2018

'बुंदेलखंड में सूख चुके हैं 60 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत'

सरकारों के साथ दिक्कत यही है कि अफसर जो रिपोर्ट भेज देते हैं उसे ही जारी कर देती है. वह हकीकत जानने की कोशिश नहीं करती.

'बुंदेलखंड में सूख चुके हैं 60 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत'
बुंदेलखंड से लगातार पलायन हो रहा है.
भोपाल: 'स्टॉकहोम वॉटर प्राइज' से सम्मानित और जलपुरुष के नाम से चर्चित राजेंद्र सिंह ने कहा कि पानी के संकट और सरकारों के उपेक्षित रवैये के चलते इस इलाके पर हर तरफ से चोट हो रही है. जन-आंदोलन 2018 के सिलसिले में ओरछा में आयोजित सम्मेलन में हिस्सा लेने आए राजेद्र सिंह ने पिछले दिनों जमीनी स्तर पर हालात का जायजा लेने के बाद तैयार की गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, "यह वह इलाका है जहां 60 फीसदी से ज्यादा जल स्त्रोत पूरी तरह सूख चुके हैं, फसलों की पैदावार मुश्किल हो गई है, रोजगार के अवसर नहीं हैं, 50 फीसदी से ज्यादा लोग पलायन कर गए हैं, गांव में अब सिर्फ बुजुर्ग और बच्चे ही ज्यादा बचे हैं."

सिंह ने आगे कहा, "रिपोर्ट से जो तथ्य सामने आए हैं वह चौंकाने वाले हैं, इससे पता चलता है कि कई युवतियां तो यौन शोषण का शिकार हो जाती हैं और कई दूसरों से ब्याह करके वहीं बस जाती हैं. इसके अलावा कई युवतियों के तो गायब होने तक की बात सामने आई है. इतना ही नहीं पुरुषों को बंधुआ मजदूर बनाया जा रहा है." इस रिपोर्ट के जारी किए जाने के बाद शिवराज सरकार की ओर से दावा किया गया कि बुंदेलखंड की स्थिति पर नजर रखी जा रही है, साथ ही जो ब्योरा जारी किया गया उसके मुताबिक, इस इलाके के लगभग 88 फीसदी हैंडपंप ठीक होना बताया गया. जब सिंह से पूछा गया कि सरकार तो आपकी रिपोर्ट के उलट बात कह रही है, तो उनका जवाब था कि जब आंख का पानी सूख जाए तो उसे धरती का पानी कहां समझ में आएगा.

सिंह ने कहा कि सरकारों के साथ दिक्कत यही है कि अफसर जो रिपोर्ट भेज देते हैं उसे ही जारी कर देती है. वह हकीकत जानने की कोशिश नहीं करती. इस मामले में भी यही हुआ है, सरकार ने बुंदेलखंड की हकीकत पर पर्दा डालने में तनिक भी देरी नहीं की. सरकार अगर वाकई में गंभीर होती तो रिपेार्ट का अध्ययन करती और वास्तविकता जानती. सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बुंदेलखंड के रेलवे स्टेशनों पर जाकर देखा जा सकता है कि कितनी बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं. सवाल उठता है कि अगर यहां पानी और रोजगार होता तो वे घर क्यों छोड़ते? सरकार बताए कि उसने किसी अफसर को इन स्टेशनों पर भेजना उचित समझा क्या?

उन्होंने आगे कहा कि बुंदेलखंड से अब पलायन नहीं बल्कि विस्थापन हो रहा है. जो लोग जाते हैं उनमें से कई परिवार कभी लौटकर नहीं आते, यह सिलसिला साल दर साल बढ़ता जा रहा है. राजेंद्र सिंह ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों को सलाह दी है कि वह वास्तविकता को खुली आंखों से देखें. समय रहते उसने जल संरक्षण का अभियान चलाया तो आने वाले वक्त में यहां के लोगों के जीवन को खुशहाल बनाया जा सकेगा, अगर पुरानी राजनीतिक बयानबाजी और जुमलेबाजी चलती रही तो लोगों की जिंदगी और बदतर हो जाएगी.



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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