मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 25 मार्च तक चलना था, लेकिन यह सत्र बुधवार को दोपहर में ही खत्म हो गया. सत्ता पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर सदन नहीं चलने देने का आरोप मढ़ते रहे लेकिन इसी हंगामे में ढाई लाख करोड़ से ज्यादा का बजट लगभग 21 घंटे की चर्चा में पारित हो गया. मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र हंगामे से शुरू हुआ, हंगामा ऐसा कि वित्त मंत्री का बजट भाषण तक हंगामे में पूरा हुआ. सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के वक्त भी हंगामा होता रहा.
बजट सत्र की अधिसूचना 71 घंटे 50 मिनिट की थी, लेकिन 21 घंटे 52 मिनिट में ही 2.79 लाख करोड़ का बजट मंज़ूर हो गया. विधायकों ने 4518 सवाल किए
लेकिन सदन में सिर्फ 53 प्रश्नों का जवाब मिला. विपक्ष 12 स्थगन प्रस्ताव लाया लेकिन किसी को स्वीकार नहीं किया गया. 692 में से सिर्फ 14 ध्यानाकर्षण सूचनाओं को ग्राह्य किया गया.
सत्ता और विपक्ष इसके लिए एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. संसदीय कार्यमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्र ने कहा नेता प्रतिपक्ष और चीफ व्हिप की सहमति के बाद ही बजट पारित करने के बाद सत्र की समाप्ति का निर्णय लिया गया. कांग्रेसियों द्वारा विधानसभा में किया गया हंगामा कमलनाथ जी के नेतृत्व पर सवाल उठाता है.
वहीं पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कमलनाथ जी की चिठ्ठी है सदन बढ़ाने की मांग की थी, हम बार-बार कांग्रेस विधायक मांग कर रहे थे लेकिन सरकार भागना चाह रही थी.
मध्यप्रदेश विधानसभा में सन 2017 से कोई सत्र पूरा नहीं चला. 14वीं विधानसभा के दौरान सदन की कार्यवाही सबसे कम 130 दिन ही चली. इसमें भी 50 दिन हंगामे की भेंट चढ़ गए. सत्ता परिवर्तन हुआ तो कमलनाथ सरकार में पूछे गए 5315 सवालों में 4200 अमान्य हो गए. 2019 में सदन 119.83 घंटे चला, 2020 में सिर्फ 113 मिनट. 2021 में 62 घंटे.
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