दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीते मध्यप्रदेश के कूनो पहुंचे, बाड़े में छोड़ा गया

दक्षिण अफ्रीका के हिंडनबर्ग पार्क से सात नर और पांच मादा चीतों को एक खास बॉक्स में रखकर वायुसेना के विमान से ग्वालियर लाया गया

भोपाल :

मध्यप्रदेश के कूनो में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीते शनिवार को पहुंच गए. इससे पहले पिछले साल सितंबर में आठ चीते नामीबिया से लाए गए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर की सुबह अपने जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ में से दो चीतों को विशेष बाड़े में छोड़ा था. इसके साथ देश में 70 साल बाद फिर से चीते दिखाई देने लगे.

दक्षिण अफ्रीका के हिंडनबर्ग पार्क में सात नर और पांच मादा चीतों को इस खास बॉक्स में विमान में रखा गया. शुक्रवार, 17 फरवरी की शाम को भारतीय वायुसेना का विशेष विमान दक्षिण अफ्रीका के ओआर टैम्बो एयरपोर्ट से रवाना हुआ. यह विमान शनिवार को सुबह 10 बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंचा. 

इसके बाद 12 चीतों को सेना के चार हेलिकॉप्टरों ने करीब पौने 12 बजे कूनो पहुंचाया. यहां उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया. फिर करीब 12 बजे दोपहर में उन्हें बाड़ों तक पहुंचाया गया. कूनो में चीते छोड़ते ही पहले वे तेजी से भागे, फिर आगे जाकर रुके और फिर दौड़ने लगे.

चीता परियोजना के प्रमुख एसपी यादव ने कहा कि, सभी चीते स्वस्थ, सक्रिय और पूरी तरह सामान्य हैं. उन सभी को कैद से आजाद कर दिया गया. यह अच्छी खबर है. यह पूरा काम बिना बाधा के पूरा हो गया. 

क्वारेंटाइन बोमा, यानी बाड़े में 12 चीतों को रखा जएगा. इसके लिए 10 क्वारेंटाइन बाड़े तैयार किए गए हैं. इनमें आठ नए और दो पुराने हैं. इसके अलावा दो आइसोलेशन वार्ड भी तैयार किए गए हैं. इनमें ही महीने भर उनके खाने-पीने का इंतज़ाम होगा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मौके पर कहा कि, महाशिवरात्रि पर मध्यप्रदेश को बड़ी सौगात मिली है. मैं पीएम का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. पहले जो चीते आए वे इस वातावरण में पूरी तरह ढल चुके हैं. एक साशा अस्वस्थ हुई थी, वह अब पूरी तरह स्वस्थ है.

यह चीते एक महीने क्वारेंटाइन बाड़ों में रहेंगे. केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि, इस प्रोजेक्ट का दूसरा चरण शुरू हो गया है. इसके साथ नामीबिया से आए चीतों का क्वारेंटाइन खत्म हो गया है.

चीतों की देखभाल के लिए वन विभाग ने 450 से ज्यादा चीता मित्र तैयार किए हैं. ग्रामीणों ने कुल्हाड़ी छोड़ने का संकल्प भी लिया है.

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अब नामीबिया से लाए गए आठ चीतों में से कुछ को खुले जंगल में छोड़ा जा सकता है, जहां उनकी असली परीक्षा होगी, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका से आए सारे मेहमान जंगल के माहौल में दूसरे जानवरों से लड़भिड़कर जीते थे लेकिन नामीबिया से आए कुछ मेहमान संरक्षित तरीके से रहने के आदी थे.