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रूम नंबर 602 : महाराष्ट्र मंत्रालय की रहस्यमय कहानी, क्यों ये कमरा लेने से डरते हैं मंत्री

महाराष्ट्र की राजनीति से कुछ अंधविश्वास जुड़े हैं. एक अंधविश्वास ये है कि महाराष्ट्र का कोई भी सीएम अपने कार्यकाल पूरे नहीं कर पाता है. हालांकि, 2014 में देवेंद्र फडणवीस ने अपना कार्यकाल पूरा कर ये मिथक तोड़ दिया है.

मुंबई:

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार बन चुकी है. राज्य में मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो चुका है. सभी मंत्रियों को कमरे भी आवंटित किए जा रहे हैं. इन सबके बावजूद मंत्रालय में एक ऐसा कमरा भी है, जिसे कोई मंत्री नहीं लेना चाहता है. इस कमरे से जुड़े कई अंधविश्वास फैले हुए हैं.कहा जाता है कि जो भी मंत्री इस कमरे में बैठता है, उसके साथ अनहोनी हो जाती है. या तो उनका पद चला जाता है या फिर जान. ये कमरा नंबर 602 है. आखिर सवाल उठ रहा है कि क्या है कमरा नंबर 602 का रहस्य?

क्या है पूरा मामला?

मंत्रालय के विभाजन के बाद सभी मंत्रियों को कमरे बांटे गए हैं. मगर कमरा नंबर 602 को लेने से सभी मंत्री डर रहे हैं. इसके पीछे कई दिलचस्प कहानी है, जिन्हें हम विस्तार से जानते हैं.

  • साल 1999 में महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार आई, तब कमरा नंबर 602 छगन भुजबल को दिया गया था, मगर 2003 में ही करोड़ों के फर्जी स्टांप घोटाला में उनका नाम आया. इसे तेलगी घोटाला भी कहते हैं. इस केस में वो फंस गए. बात गिरफ्तारी तक पहुंच गए. बाद में उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.
  • कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में अजित पवार को मंत्री बनाया गया था. तब उन्हें भी कमरा नंबर 602 दिया गया था. कमरा लेते ही  अजित पवार भी विवादों में फंस गए. वो भी जेल जाते-जाते बचे. स्थिति ऐसी आई कि उन्हें भी अपने पद से हाथ धोना पड़ा.
  • साल 2014 में भाजपा-शिवसेना की गठबंधन की सरकार आई. एकनाथ खड़से को मंत्री बनाया गया. उन्हें भी कमरा नंबर 602 दिया गया. जल्द ही खड़से भूमि विवाद में फंस गए और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
  • इसके बाद  इस कमरे में नए मंत्री पांडुरंग फुंडकर आए. लेकिन दो साल काम करने के बाद ही उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई.
  • जून 2019 के बाद से इस कमरे को किसी को अलॉट नहीं किया गया. 2019 में जब कृषि विभाग का प्रभार बीजेपी नेता अनिल बोंडे को दिया गया तो वह इस ऑफिस में आए. लेकिन बोंडे इस साल विधानसभा चुनाव में हार गए. बस फिर क्या था. स्थिति ये हो गई है कि इस कमरे में कोई मंत्री बैठना ही नहीं चाते हैं.

मंत्रियों में एक धारणा बन गई है, एक अंधविश्वास बन गया कि जो भी मंत्री इस कमरे को लेता है, या तो वो पद से हाथ धो बैठता है या फिर जिंदगी से. यही वजह है कि कोई भी मंत्री इस कमरे को लेने से गुरेज करता है.

कैसा है कमरा नंबर 602

देखा जाए तो मंत्रालय का सबसे बड़ा कमरा है 602..कायदे से देखा जाए तो सबसे बड़ा मंत्री को ही यह कमरा मिलना चाहिए. लेकिन हकीकत है कि यह कमरा कोई लेना नहीं चाहता है.

अब किसे मिला है कमरा नंबर 602

शिवेद्र राजे भोसले को यह कमरा दिया गया है. शिवेद्र राजे भोसले बीजेपी के विधायक हैं और छत्रपति शिवाजी के वंशज हैं. जब उन्हें मंत्री के लिए चुना गया तो उनके तमाम समर्थकों में खुशी थी. उन्हें लोकनिर्माण विभाग दिया गया है. जैसे ही समर्थकों को पता चला कि कमरा नंबर 602 दिया गया है तो लोगों में चिंता पैदा हो गई. 

महाराष्ट्र की राजनीति से कुछ अंधविश्वास जुड़े हैं. एक अंधविश्वास ये है कि महाराष्ट्र का कोई भी सीएम अपने कार्यकाल पूरे नहीं कर पाता है. हालांकि, 2014 में देवेंद्र फडणवीस ने अपना कार्यकाल पूरा कर ये मिथक तोड़ दिया है. देखा जाए तो देश की राजनीति में कई अंधविश्वास प्रचलित रहे हैं. और वक्त वक्त पर टूटे भी हैं. 

कहा जाता था कि ऐसा राजनेता जिसके नाम में अंग्रेजी का आर नहीं है, वो कभी पीएम  नहीं बन सकता है. हालांकि, मनमोहन सिंह के बनने के बाद यह मिथक भी टूटा. एक और अंधिविश्वास था कि उत्तर प्रदेश का कोई सीएम नोएडा जाता है, तो उसकी गद्दी चली जाती है. दोबारा सत्ता में नहीं आता है. हालांकि, इस मिथक को योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा.

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