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NDTV की मुहिम: बिल्डर के धोखे का शिकार, 18 साल से फ्लैट का इंतजार, झुग्गी से बिल्डिंग तक का सफर, कैसे होगा पूरा?

पीड़ित होम बायर्स ने कहा कि नेताओं ने विधानभवन में आवाज तो उठाई लेकिन आवाज उठाने से पेट नहीं भरता और न ही लोगों को घर मिलता है. ट्रांजिट कैंप का हाल देखिए, वहां अंधेरा पड़ा है. पता नहीं बिल्डर ने इसे कैसे बनाया और एसआरए ने इसे कैसे पास कर दिया.

NDTV की मुहिम: मुंबई के होम बायर्स की परेशानी सुनिए.

मुंबई:

NDTV Campaign For Home Buyers:  मुंबई में लोग अपनी आंखों में कई सपने लिए आते हैं. उनमें एक बड़ा सपना अपना आशियाना बनाना भी है. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिस बिल्डर पर आप विश्वास करते हैं, वही आपके साथ विश्वासघात कर देता है.ऐसे कई सारे किस्से मुंबई में भी देखने को मिले हैं. मुंबई (Mumbai Fraud Builder) के बोरीवली के देवीपाड़ा इलाके में लोग पिछले 18 सालों से अपना घर मिलने का इंतजार कर रहे हैं. कई बिल्डर आए लेकिन इन लोगों का घर तैयार नहीं कर सके. इन लोगों के फ्लैट की समय सीमा 18 साल बीत चुकी है. 

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बिल्डर ने तोड़ा अपने घर का सपना

देवीपाड़ा इलाके में 18 साल पहले एक बड़ी बिल्डिंग बनाई गई थी. टेक्निकल खामी की वजह से उसे तोड़ दिया गया. जिन लोगों ने बिल्डर पर भरोसा कर यहां पैसा लगाया था वह इसी टूटे हुए फ्लैट की जगह पर अपने ही पैसों से घर बनाकर रहने लगे हैं.  इन लोगों को अभी भी उम्मीद है कि कोई बिल्डर आएगा, जो इनको इनका मकान बनाकर देगा.

(बिल्डिंग की खाली पड़ी जमीन)

(बिल्डिंग की खाली पड़ी जमीन)

बिल्डिंग काम अधूरा छोड़ भागा, भाड़ा भी नहीं मिल रहा

एक पीड़ित ने बताया कि 2006 में लोगों से ये बोलकर जगह खाली कराई गई कि इस जमीन पर एसआरए की बिल्डिंग बनेगी. 2010 में यहां पर निर्माण कार्य शुरू हुआ. फाइनेंस की कमी की वजह से 2011-12 के करीब काम रोक दिया. पास में ही शुरू हुए दूसरे बिल्डिंग का काम पूरा भी हो गया. यहां 680 लोगों को शिफ्ट भी कर दिया गया. लेकिन उनके बिल्डर ने धोखा दिया. 11 मंजिला बिल्डिंग को ऐसे ही अधूरा छोड़कर गायब हो गया. टेक्निकल खामी की वजह से बिल्डिंग का काम रोक दिया गया. 2017 के बाद से यहां से हटे लोगों को किराया तक नहीं मिल रहा है. हालांत ऐसे हैं कि कुछ लोग टूटे घरों में रहने को मजबूर हैं.  जबकि कुछ लोगों ने कर्ज और लोन लेकर यहां पर घर बना लिया. अब उम्मीद है कि नया बिल्डर उनके घरों को 6 महीने के भीतर बनाकर दे देगा.

(मुंबई के घर खरीदारों का दर्द)

(मुंबई के घर खरीदारों का दर्द)

'हमारे दर्द के लिए बिल्डर से ज्यादा प्रशासन जिम्मेदार'

नागेंद्र मिश्रा नाम के पीड़ित ने उनकी तकलीफों को उजागर करने के लिए एनडीटीवी का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि वे लोग पिछले 18 सालों से दर्द झेल रहे हैं. यहां पर सभी लोग जरूरतमंद हैं. सब ने अपने घरों का जो सपना संजोया था उसे नए बिल्डर को दिया गया है. उनके साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार बिल्डर से ज्यादा वह प्रशासन को मानते हैं. क्यों कि प्रशासन ने वह नियम निकाला, जिसके तहत वो बिल्डर यहां पर आया. 7-8 सालों से लोगों को भाड़ा नहीं मिला. क्यों कि जितना कमरों का भड़ा है उतनी इनकी इनकम नहीं है. उनके पास खाने के लिए भी ठीक से पैसा नहीं है. ऐसे हालात में लोग अपने दिन गुजारने को मजबूर हैं. नेताओं ने विधानभवन में आवाज तो उठाई लेकिन आवाज उठाने से पेट नहीं भरता और न ही लोगों को घर मिलता है. ट्रांजिट कैंप का हाल देखिए, वहां अंधेरा पड़ा है. पता नहीं बिल्डर ने इसे कैसे बनाया और एसआरए ने इसे कैसे पास कर दिया.

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