- पीएम मोदी ने राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर बने पहले 'कर्तव्य भवन' का उद्घाटन किया.
- यह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिसे इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक विकसित किया जा रहा है.
- इस प्रोजेक्ट के तहत 10 सरकारी इमारत बनेंगी, जिनमें सभी मंत्रालयों को शिफ्ट किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर बने 'कर्तव्य भवन' का उद्घाटन किया. उन्होंने इसे देश के विकास और जनसेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया. कहा कि कर्तव्य भवन विकसित और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए हमारीप्रतिबद्धता को दर्शाता है. आइए बताते हैं कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बन रहे कर्तव्य भवन क्या हैं, और किस तरह ये देश का नया पावर सेंटर बनने वाले हैं.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा
कर्तव्य भवन सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा है. सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक फैले दिल्ली के इलाके को नए और आधुनिक तरह से विकसित करने का बड़ा प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के तहत 10 नई सरकारी इमारत बनाने की योजना है. पहले कर्तव्य भवन का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया है. इन इमारतों को बनाने का मकसद प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाना, मंत्रालयों के बीच समन्वय बढ़ाना और बेहतर सार्वजनिक सेवा के लिए नीतियों के क्रियान्वयन में तेजी लाना है.

कर्तव्य भवन-3 में ये मंत्रालय शिफ्ट होंगे
कर्तव्य भवन का मकसद विभिन्न मंत्रालयों को एक ही छत के नीचे लाना है. देश के कई पावरफुल मंत्रालय अब इस नए पावर सेंटर से चलेंगे. नए कर्तव्य भवन में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई, डीओपीटी (कार्मिक मंत्रालय), पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय होंगे. कुछ मंत्रालय बुधवार से ही इसमें शिफ्ट हो रहे हैं.

पहले कर्तव्य भवन की खासियतें?
- सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत यह कर्तव्य भवन दिल्ली के जनपथ पर बना है.
- 1.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली इस इमारत में 10 फ्लोर हैं.
- बेसमेंट में 2 लेवल हैं. 600 गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था है.
- कर्तव्य भवन में 24 मुख्य कॉन्फ्रेंस रूम और 26 छोटे कॉन्फ्रेंस रूम हैं.
- इसका मकसद अहम मंत्रालयों को एक जगह पर लाना है.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में बनेंगे 10 भवन
शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया था कि 1950 से लेकर 1970 तक दिल्ली में कई सरकारी भवन बनाए गए, लेकिन इन्हें किसी प्लानिंग के तहत नहीं बल्कि जैसी जरूरत पड़ी, उस हिसाब से बना दिया गया. प्रधानमंत्री को लगा कि दुनिया के बाकी देशों में जिस तरह से ख़ास पैटर्न से सरकारी ऑफिस बनाए गए हैं, वैसा ही हमारे देश में भी हो. उसी के तहत 10 भवन बनाने का फैसला लिया गया. इसके तहत तीन कर्त्तव्य भवन बनाए जा रहे हैं.

तीन महीने में 2 और कर्तव्य भवन बनेंगे
बताया जा रहा है कि अगले तीन महीनों में दो अन्य कर्तव्य भवन भी बनकर तैयार हो जाएंगे. इनमें चल रहे केंद्र सरकार के मंत्रालय, विभाग और अधीनस्थ कार्यालयों को धीरे-धीरे नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा. इनके शिफ्ट होने के बाद ऐतिहासिक नॉर्थ और साउथ ब्लॉक की इमारतें खाली हो जाएंगी. इन सभी इमारतों को जोड़ने के लिए नई अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन भी बिछाई जा रही है. इसके अलावा प्रधानमंत्री का नया और स्थायी निवास बनाने का काम भी बहुत जल्द शुरू किया जाएगा. इसके 2028 तक बनकर तैयार होने की संभावना है.

नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में बनेगा म्यूजियम
एक सवाल लोगों के मन में है कि कर्तव्य भवन बनने के बाद नॉर्थ और साउथ ब्लॉक का क्या होगा, जहां पर अभी कई मंत्रालय हैं. बता दें कि दिल्ली का ऐतिहासिक नॉर्थ और साउथ ब्लॉक अब म्यूजियम में तब्दील किया जाएगा. इसका नाम 'युगे युगीन भारत' म्यूजियम रखा जाएगा. इसमें भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति और इतिहास को दर्शाया जाएगा. इन दोनों ऐतिहासिक इमारतों में चल रहे सभी सरकारी दफ़्तर अब कर्तव्य भवन में शिफ्ट होंगे.
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