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This Article is From Jun 20, 2020

कोरोना से जंग में महाराष्ट्र ने बढ़ाया एक और कदम, एंटी बॉडी टेस्ट और टेली-आईसीयू की ली जाएगी मदद

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोरोना के 1 लाख 24 हजार मामले हैं. यह राज्य देश में महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है.

कोरोना से जंग में महाराष्ट्र ने बढ़ाया एक और कदम, एंटी बॉडी टेस्ट और टेली-आईसीयू की ली जाएगी मदद
प्रतीकात्मक तस्वीर
मुंबई:

महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राज्य सरकार ने फैसला लिया है कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों और कोरोना से फ्रंटलाइन पर लड़ रहे कर्मचारियों का एंटी बॉडी टेस्ट किया जाएगा. गौरतलब है कि राज्य में कोरोना के 1 लाख 24 हजार मामले हैं, महाराष्ट्र देश में महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है. महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने शुक्रवार को कहा , "एंटी बॉडी टेस्ट और एंटीजिन टेस्ट को अनुमति दी गई है. एंटी बॉडी टेस्ट मुख्य रूप से कोविड से लड़ रहे फ्रंटलाइन कर्मचारियों के किए जाएंगे. हम देख पाएंगे कि इन कर्मचारियों में एंटी बॉडी विकसित हुए हैं कि नहीं. स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन स्टाफ के लिए एंटी बॉडी टेस्ट से जुड़ा नीतिगत फैसला लिया गया है."

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,"एंटीजिन टेस्ट एक डायग्नोस्टिक टेस्ट होगा जिसकी मदद से आरटी-पीसीआर टेस्ट जैसे नतीजे मिल सकेंगे. एंटीजिन टेस्ट की मदद से सैंपल लिए जाने के एक घंटे में रिपोर्ट मिल सकेगी . अगर नतीजे नेगेटिव आते हैं तो आरटी-पीसीआर टेस्ट से  पुष्टि की जा सकती है. अगर नतीजे पॉजिटिव आते हैं, मरीज को कोविड पॉजिटिव माना जाएगा. इसके बाद स्वैब सैंपल लिए जा सकेंगे और कम समय में टेस्ट किया जा सकेगा. इससे कंटेनमेंट जोन में टेस्ट करने में तेजी आएगी.'

स्वास्थ्यकर्मियों की हिफाजत करना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है क्योंकि कई डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.  कोरोना के लगातार आ रहे मामलों के बीच महाराष्ट्र पहले से ही डॉक्टरों की कमी का सामना कर रहा है. खासकर आईसीयू की कमी भी देखी जा रही है. अब ऐसे में गंभीर रोगियों के इलाज के लिए टेली-आईसीयू प्रयोग की योजना बनाई जा रही है.

राजेश टोपे ने कहा, "कोरोना महामारी के संबंध में हमने अब तक देखा है कि 85 प्रतिशत मामले बिना किसी लक्षण के ठीक हो जाते हैं. कुल रोगियों में से केवल 10-15 प्रतिशत को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. लगभग 2-3 प्रतिशत गंभीर हो जाते हैं और उन्हें ICU देखभाल की आवश्यकता रहती है. ICU के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता होती है और यह वह जगह है जहां हम कमी का सामना कर रहे हैं.  हम मेडस्केप फाउंडेशन की नई तकनीक का सहारा ले रहे हैं. उन्होंने पांच से सात जिलों में आईसीयू का प्रबंध करने का प्रस्ताव भेजा है. ''

राजेश टोपे ने कहा कि नई तकनीक सरकार को डॉक्टरों और आईसीयू बेड की कमी के साथ महामारी से निपटने में मदद करेगी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,"यह एक ऐसी तकनीक है जहां आईसीयू बेड के बगल में एक मॉनिटर होता है जो मरीज के अहम पैरामीटर को ट्रैक करता है. वे दिल्ली में बैठकर इसे ट्रैक कर सकते हैं. वे मरीज की हिस्टरी और बदलते पैरामीटर को ट्रैक करेंगे और उपचार सुझाएंगे जो मदद करेगा. इससे हमें मदद मिलेगी." 

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