महाराष्ट्र सरकार के मंत्रालय से महात्मा ज्योतिबा फुले के जीवन और कार्यों पर बनने वाली डॉक्यूमेंट्री से जुड़ी एक बेहद जरूरी सरकारी फ़ाइल अचानक गायब हो गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
मूल फाइल की जगह फोटोकॉपी
यह शिकायत सूचना एवं जनसंपर्क महानिदेशक (DGIPR) के समाचार विभाग में तैनात वरिष्ठ सहायक निदेशक सागर नमदेव कांबले की तरफ से दर्ज कराई गई है. कांबले 1 सितंबर से मंत्रालय में काम कर रहे हैं. शिकायत में बताया गया कि 28 अक्टूबर को फाइलों की जांच के दौरान पता चला कि डॉक्यूमेंट्री प्रोजेक्ट की मूल फ़ाइल गायब है और उसकी जगह सिर्फ फोटोकॉपी रखी हुई है.
फोटोकॉपी से ही अधिकारी चला रहे काम
कांबले ने जब सहकर्मियों से मूल दस्तावेज़ के बारे में पूछा तो जवाब मिला कि इसी फोटोकॉपी के आधार पर काम चल रहा था और उसी में नई जानकारियां जोड़कर आगे भेजी जा रही थीं. इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों के कहने पर पूरे कार्यालय में तलाश शुरू हुई, लेकिन मूल फ़ाइल का कोई सुराग नहीं मिला.
पूरी रिकॉर्ड फाइल ही गायब मिली
जांच के दौरान सीनियर क्लर्क अश्विनी गोसावी ने जानकारी दी कि 1 जनवरी 2017 से 31 मार्च 2020 तक की पूरी रिकॉर्ड फाइल नहीं मिल रही है. 14 नवंबर को DGIPR ने इस पूरे मामले की आधिकारिक शिकायत दर्ज कराने का निर्देश दिया, जिसके बाद कांबले ने मरीन ड्राइव पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई. शिकायत में अज्ञात व्यक्तियों पर संवेदनशील दस्तावेज़ गायब करने और नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है.
सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक
ज्योतिबा फुले सिर्फ एक विचारक नहीं थे बल्कि वह अपने दौर के उन सबसे बड़े क्रांतिकारियों में से एक थे, जिन्होंने जातिगत भेदभाव, छुआछूत और महिलाओं के खिलाफ असमानता जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई. फुले ने अपने जीवन को महिलाओं, वंचितों और शोषित किसानों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया था. फुले की सोच केवल समाज सुधार तक सीमित नहीं थी। वे दूरदर्शी कृषि विशेषज्ञ और मानवतावादी विचारक भी थे.
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