शिवाजी स्मारक का विरोध करते स्थानीय लोगों के नेता
मुंबई:
साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने जा रहे छत्रपति शिवाजी मेमोरियल का शिलान्यास पीएम मोदी ने किया. यह कोई आम स्मारक नहीं है और यह अपने हिस्से के विवादों से घिरा हुआ है.मुम्बई के नरीमन पॉइंट इलाके से आगे अरब सागर में 3 किलोमीटर अंदर बनने वाले इस निर्माण पर मछुआरों ने आपत्ति जताई है.
मछुआरों के नेता दामोदर तांडेल ने कहा है कि शिवस्मारक के निर्माण से मछुआरे मछली पकड़ने पानी में नहीं जा सकेंगे.
उधर, पर्यावरणविद प्रदीप पाताड़े का कहना है कि, समुद्र में होने जा रहे इस निर्माण से मुम्बई की गिरगाव चौपाटी ख़त्म हो सकती है. साथ ही, इससे समुद्री पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा होगा.
पर्यावरण संरक्षकों ने शिवस्मारक के खिलाफ़ नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में तो शहर के कुछ नागरिक ऑनलाइन पिटीशन के जरिए हाइकोर्ट में इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं. विरोधी याद दिला रहे हैं कि, सोलहवीं शताब्दी के राजा शिवाजी के बनाए कई किले महाराष्ट्र में आज भी जर्जर अवस्था में हैं. उनका संरक्षण ज्यादा जरूरी है. तो दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र सरकार अपने तर्क के साथ शिवाजी मेमोरियल का समर्थन कर रही है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बाबत कहा है कि, शिवाजी के किलों के संवर्धन का काम भी शुरू हो चुका है और कितनी भी मुश्किलें आए शिवस्मारक का काम भी वे कर के दिखाएंगे. वे गेटवे ऑफ इंडिया पर आयोजित एक कार्यक्रम के मंच से बोल रहे थे. दरअसल, समुद्र में छत्रपति शिवाजी मेमोरियल की घोषणा 2004 में कांग्रेस-एनसीपी ने की. लेकिन, स्मारक नहीं बनाया. उधर बीजेपी सरकार ने डॉ अम्बेडकर और छत्रपति शिवाजी इन राष्ट्रपुरुषों के समुद्र किनारे पर ही भव्य स्मारक बनाने के लिए कमर कस ली है. राज्य की सरकार पर जबरदस्त दबाव है कि, जितना भव्य डॉ आंबेडकर स्मारक होगा, शिवाजी मेमोरियल भी उतना ही भव्य होना चाहिए. जातिगत राजनीति का यही दबाव विरोध के तमाम मुद्दों को अनसुना कर दे रहा है.
मछुआरों के नेता दामोदर तांडेल ने कहा है कि शिवस्मारक के निर्माण से मछुआरे मछली पकड़ने पानी में नहीं जा सकेंगे.
उधर, पर्यावरणविद प्रदीप पाताड़े का कहना है कि, समुद्र में होने जा रहे इस निर्माण से मुम्बई की गिरगाव चौपाटी ख़त्म हो सकती है. साथ ही, इससे समुद्री पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा होगा.
पर्यावरण संरक्षकों ने शिवस्मारक के खिलाफ़ नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में तो शहर के कुछ नागरिक ऑनलाइन पिटीशन के जरिए हाइकोर्ट में इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं. विरोधी याद दिला रहे हैं कि, सोलहवीं शताब्दी के राजा शिवाजी के बनाए कई किले महाराष्ट्र में आज भी जर्जर अवस्था में हैं. उनका संरक्षण ज्यादा जरूरी है. तो दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र सरकार अपने तर्क के साथ शिवाजी मेमोरियल का समर्थन कर रही है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस बाबत कहा है कि, शिवाजी के किलों के संवर्धन का काम भी शुरू हो चुका है और कितनी भी मुश्किलें आए शिवस्मारक का काम भी वे कर के दिखाएंगे. वे गेटवे ऑफ इंडिया पर आयोजित एक कार्यक्रम के मंच से बोल रहे थे. दरअसल, समुद्र में छत्रपति शिवाजी मेमोरियल की घोषणा 2004 में कांग्रेस-एनसीपी ने की. लेकिन, स्मारक नहीं बनाया. उधर बीजेपी सरकार ने डॉ अम्बेडकर और छत्रपति शिवाजी इन राष्ट्रपुरुषों के समुद्र किनारे पर ही भव्य स्मारक बनाने के लिए कमर कस ली है. राज्य की सरकार पर जबरदस्त दबाव है कि, जितना भव्य डॉ आंबेडकर स्मारक होगा, शिवाजी मेमोरियल भी उतना ही भव्य होना चाहिए. जातिगत राजनीति का यही दबाव विरोध के तमाम मुद्दों को अनसुना कर दे रहा है.
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