कोर्ट ने श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिकाओं को खारिज कर दिया.
मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिकाओं को खारिज कर दिया. आरोपियों ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने को चुनौती दी थी.
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याचिकाओं में कहा गया था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्य के कानून और न्याय विभाग को उचित प्राधिकरण से रिपोर्ट लेनी होती है. पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा, 'इस मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी, लेकिन प्राधिकरण का गठन अक्तूबर 2010 में किया गया. अत: मंजूरी का आदेश गलत है.'
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एनआईए की ओर से पेश हुए वकील संदेश पाटिल ने कहा, 'पुरोहित ने मंजूरी दिए जाने का मामला तब उठाया था जब उनकी जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय में दलील दी जा रही थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर अब इस समय विचार नहीं किया जा सकता और इस पर निचली अदालत विचार कर सकती है.' उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने पुरोहित को जमानत देते हुए भी यही बात कही थी.
VIDEO : मालेगांव धमाके के आरोपी कर्नल पुरोहित 9 साल बाद जेल से बाहर
उच्च न्यायालय ने एनआईए के वकील की दलीलों को आज स्वीकार कर लिया और याचिकाओं को खारिज कर दिया.
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याचिकाओं में कहा गया था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले राज्य के कानून और न्याय विभाग को उचित प्राधिकरण से रिपोर्ट लेनी होती है. पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा, 'इस मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी, लेकिन प्राधिकरण का गठन अक्तूबर 2010 में किया गया. अत: मंजूरी का आदेश गलत है.'
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एनआईए की ओर से पेश हुए वकील संदेश पाटिल ने कहा, 'पुरोहित ने मंजूरी दिए जाने का मामला तब उठाया था जब उनकी जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय में दलील दी जा रही थी. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर अब इस समय विचार नहीं किया जा सकता और इस पर निचली अदालत विचार कर सकती है.' उन्होंने कहा कि यहां तक कि उच्चतम न्यायालय ने पुरोहित को जमानत देते हुए भी यही बात कही थी.
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उच्च न्यायालय ने एनआईए के वकील की दलीलों को आज स्वीकार कर लिया और याचिकाओं को खारिज कर दिया.
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