
- महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने गैंगस्टर नीलेश घायवाल के भाई सचिन घायवाल को हथियार लाइसेंस दिया था
- पुलिस ने सचिन घायवाल के खिलाफ आपराधिक पृष्ठभूमि और केस होने के कारण हथियार लाइसेंस देने से इंकार किया था
- शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने कहा कि मैं सीएम फडणवीस से मिलकर योगेश कदम की बर्खास्तगी की मांग करूंगा
गृह राज्य मंत्री योगेश कदम द्वारा गैंगस्टर के भाई को गन का लाइसेंस दिए जाने पर महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है. शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने गैंगस्टर नीलेश घायवाल के भाई सचिन घायवाल को हथियार लाइसेंस जारी करने की मंजूरी देते समय पुलिस की सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया.
सीएम फडणवीस से मिलेंगे अनिल परब
परब ने कहा कि वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलेंगे और कदम को बर्खास्त करने की मांग करेंगे. परब ने बताया कि सचिन घायवाल, गैंगस्टर नीलेश घायवाल का भाई है. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सचिन घायवाल की आपराधिक पृष्ठभूमि है और उसका भाई एक कुख्यात गैंगस्टर है. उसके (सचिन) ख़िलाफ़ मामले दर्ज थे, लेकिन सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया गया था. पुलिस ने उसे हथियार लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था.
तब तक शिवसेना (यूबीटी) चुप नहीं बैठेगी...
परब ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री को क्या दिक्कत है कि वह अपने मंत्रिमंडल में ऐसे मंत्रियों को शामिल कर रहे हैं? मैं मुख्यमंत्री से मिलकर उनकी (कदम की) बर्खास्तगी की मांग करूंगा, तब तक शिवसेना (यूबीटी) चुप नहीं बैठेगी. योगेश कदम ने एक्स पर स्पष्टीकरण जारी किया. मंत्री ने बताया कि पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई की तारीख़ को सचिन घायवाल के ख़िलाफ़ कोई आपराधिक मामला लंबित नहीं था, इसलिए आवेदन को मंज़ूरी दे दी गई.
योगेश कदम ने क्या कहा
योगेश कदम ने बताया कि फ़ैसला लेने से पहले घायवाल को बरी करने वाले सभी संबंधित दस्तावेज़ों और अदालती आदेशों की जांच की गई. उन्होंने आगे कहा कि "इस मामले को किसी अन्य चल रहे मामले से जोड़ना पूरी तरह ग़लत और भ्रामक है." गृह राज्य मंत्री योगेश कदम के बचाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के वरिष्ठ नेता उनके पिता रामदास कदम उतर आए हैं. उन्होंने कहा कि योगेश कदम ने विधानसभा में एक उच्च पद पर बेठे व्यक्ति की सलाह पर यह निर्णय लिया.
योगेश कदम का बचाव करते हुए रामदास कदम ने कहा कि योगेश कदम ने यह फ़ैसला एक ऐसे व्यक्ति की सलाह पर लिया है जो विधानसभा में उच्च पद पर हैं और मंत्रियों को आदेश भी देते हैं, वह व्यक्ति वहां न्यायाधीश भी हैं. इसलिए योगेश कदम ने यह फ़ैसला लिया है. योगेश कदम ने उस व्यक्ति का नाम मुख्यमंत्री को भेजा है. उनके बताने और संबंधित व्यक्ति से योगेश कदम के संतुष्ट होने के बाद यह फ़ैसला लिया गया.
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