फरार घोषित किए जा चुके मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ( Param Bir Singh) के मुम्बई के दोनों घर के दरवाजों पर मुम्बई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने proclaimed offender (घोषित अपराधी) का नोटिस चिपकाया है. मंगलवार को चस्पा किए गए इस नोटिस में परमबीर सिंह को 30 दिन के भीतर जांच एजेंसी या फिर अदालत के सामने हाजिर होने को कहा गया है.
गौरतलब है कि कल ही परमबीर सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो देश मे ही हैं और उनकी जान को खतरा है इसलिए छुपे हुए हैं.परमबीर के वकील ने 48 घन्टे के भीतर जांच में शामिल होने का दावा भी किया. परमबीर की अर्जी पर उनकी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है.
'परमबीर भारत में ही हैं, जान के खतरे के कारण छिपे हुए हैं' : सुप्रीम कोर्ट में वकील ने दी जानकारी
गौरतलब है कि मुंबई की एक कोर्ट ने परमबीर सिंह को 'भगोड़ा अपराधी' घोषित करने की अनुमति दे दी है. जानकारी के मुताबिक यदि वो 30 दिनों में कानून के सामने नहीं आते हैं तो मुंबई पुलिस उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी.
बता दें कि गत 22 जुलाई को मुंबई के मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ने परमबीर सिंह, पांच अन्य पुलिसकर्मियों और दो अन्य लोगों के खिलाफ एक बिल्डर से कथित तौर पर 15 करोड़ रुपये मांगने के आरोप में केस दर्ज किया था. आरोप है कि आरोपितों ने एक-दूसरे की मिलीभगत से शिकायतकर्ता के होटल और बार के खिलाफ कार्रवाई का डर दिखाकर 11.92 लाख रुपये की उगाही की.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की जांच के खिलाफ परमबीर सिंह की याचिका खारिज की
परमबीर ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार और जबरन वसूली का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में उन्होंने देशमुख पर हस्तक्षेप करने और हर महीने 100 करोड़ रुपये तक की जबरन वसूली करने के लिए पुलिस का उपयोग करने का आरोप लगाया था. उन्होंने मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोट मामले में जांच धीमी होने पर पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद यह पत्र लिखा था.
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