Chhattisgarh Hindi News: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय पशु बाघ की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई, जिसका शव लगभग तीन दिन बाद सूरजपुर जिले के घुई वन परिक्षेत्र (Ghui Forest) में मिला है. शरीर पर चोट के निशान भी हैं. इसके अलावा बाघ के दांत और नाखून गायब मिले हैं. इससे उस पर हमले की आशंका जताई जा रही है. घटना के बाद वन विभाग में मामले की जांच में लगा हुआ है.

घुई वनक्षेत्र में वन विभाग के अधिकारी.
दरअसल, जंगल में ग्रामीणों ने बाघ का शव पड़ा देखा. इसकी सूचना तुरंत वन विभाग को दी गई. जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और जंगल के उस पूरे हिस्से को घेराबंदी कर सुरक्षित किया गया. प्राथमिक जांच में बाघ के शरीर पर कई जगह गहरे चोट के निशान पाए गए हैं. शव के पास में ही लोहे का धारदार हथियार भी मिला है. इन्हीं निशानों के आधार पर यह आशंका जताई जा रही है कि बाघ की मौत किसी हमले के कारण हो सकती है.

पोस्टमॉर्टम के बाद होगा मौत का खुलासा
हालांकि, वन विभाग की ओर से अभी किसी निष्कर्ष की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ की मौत के सही कारणों का पता पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चल सकेगा. इसके लिए फारेंसिक टीम की मौजूदगी में बाघ का पीएम कराया जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मौत प्राकृतिक
कारणों से हुई या फिर किसी प्रकार की हिंसा या अवैध गतिविधि इसमें शामिल है.
वन विभाग नहीं बरत रहा सतर्कता
वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकारने हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. इसके बावजूद विभाग को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि बाघ का मूवमेंट इस क्षेत्र में हो रहा है या नहीं. न तो ट्रैकिंग की ठोस व्यवस्था नजर आई और न ही समय रहते किसी खतरे का आकलन किया जा सका. ऐसे में बाघ जैसे संरक्षित वन्यजीव की मौत ने विभाग की सतर्कता और निगरानी व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
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