
MP News: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि अप्रत्याशित भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए देश के सशस्त्र बलों को अल्पकालिक संघर्षों से लेकर पांच साल तक के युद्ध सहित सभी प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए. महू सैन्य छावनी के आर्मी वॉर कॉलेज में तीनों सेनाओं की संयुक्त संगोष्ठी 'रण संवाद 2025' के दूसरे और अंतिम दिन पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए सिंह ने यह बात कही. उन्होंने सैन्य संघर्षों में विजय प्राप्त करने के संदर्भ में यह भी कहा कि सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडारों का आकार अब पर्याप्त नहीं रह गया है क्योंकि साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ड्रोन और उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली भविष्य के युद्धों को परिभाषित कर रही है. सिंह ने कहा कि सटीकता से वार करने वाले हथियार, वास्तविक समय में मिलने वाली खुफिया जानकारी और 'डेटा' से हासिल होने वाली सूचनाएं अब किसी भी सैन्य संघर्ष में सफलता की आधारशिला बन गई हैं.
This fusion of technology and surprise is making warfare more complex and unpredictable than ever before. That is why we must not only master existing technologies but also ensure that we are constantly prepared for new innovations and unforeseen challenges. pic.twitter.com/8r98Njdmbs
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 27, 2025
भारतीय सशस्त्र बलों को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए : रक्षा मंत्री
राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों पर चर्चा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत किसी की जमीन नहीं चाहता, लेकिन अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. सिंह ने कहा, 'आज के दौर में युद्ध इतने अचानक और अप्रत्याशित हो गए हैं कि यह अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि कोई युद्ध कब समाप्त होगा और कितने समय तक चलेगा.' उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए.
सिंह ने जोर देकर कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सेना का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह 'संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण' का मुद्दा बन गया है. उन्होंने यह बात प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी सहित भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की उपस्थिति में कही.
युद्ध का विस्तार
रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्ध अब जमीन, समुद्र और हवा तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अब इनका विस्तार अंतरिक्ष और साइबर जगत तक हो गया है. उन्होंने कहा, 'उपग्रह प्रणालियां, उपग्रह-रोधी हथियार और अंतरिक्ष कमान केंद्र शक्ति के नये साधन हैं. इसलिए आज हमें केवल रक्षात्मक तैयारी की ही नहीं, बल्कि एक सक्रिय रणनीति की भी आवश्यकता है,'
‘अरैखिक युद्ध नीति' एक आधुनिक रणनीति है जो पारंपरिक सैन्य संघर्ष से अलग होती है. इसमें दुश्मन को हराने के लिए सैन्य तरीकों के साथ ही असैन्य तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाता है जिनमें राजनीतिक, आर्थिक और साइबर उपाय शामिल हैं. सिंह ने कहा,'सिर्फ सैनिकों की संख्या या हथियारों के भंडारों का आकार अब पर्याप्त नहीं है. साइबर युद्ध, एआई, मानवरहित हवाई वाहन और उपग्रह-आधारित निगरानी प्रणाली भविष्य के युद्धों को आकार दे रही है.'
This fusion of technology and surprise is making warfare more complex and unpredictable than ever before. That is why we must not only master existing technologies but also ensure that we are constantly prepared for new innovations and unforeseen challenges. pic.twitter.com/8r98Njdmbs
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 27, 2025
सिंह ने कहा कि भविष्य के युद्ध केवल हथियारों के बूते होने वाली लड़ाई नहीं होंगे, बल्कि वे तकनीक, खुफिया जानकारी, अर्थव्यवस्था और कूटनीति का मिला-जुला रूप होंगे. रक्षा मंत्री ने जोर देकर भी यह कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सेना का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह ‘संपूर्ण राष्ट्र के दृष्टिकोण' का मुद्दा बन गया है.
Operation Sindoor was indeed a striking demonstration of technology-driven warfare. Be it offensive or defensive techniques, operational practices, quick and efficient war logistics, the seamless integration of our forces or matters of intelligence and surveillance. Operation… pic.twitter.com/3AY2dLcObN
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 27, 2025
उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' के लिए तीनों सेनाओं की सराहना की और कहा कि यह अभियान भारत के स्वदेशी मंचों, उपकरणों और हथियार प्रणालियों की सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण बनकर उभरा है. सिंह ने कहा,'इस अभियान की उपलब्धियों ने एक बार फिर रेखांकित किया है कि आने वाले समय में आत्मनिर्भरता एक परम आवश्यकता है. हमने आत्मनिर्भरता के मार्ग पर महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन हमें अब भी एक लंबा रास्ता तय करना है.'
सिंह ने कहा,'अगर हम ऑपरेशन सिंदूर की बात करें, तो यह वास्तव में तकनीक-संचालित युद्ध नीति का एक अद्भुत प्रदर्शन था.' 'युद्ध कला पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव' की थीम पर दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद किया गया. हालांकि, सेना के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि इस कार्यक्रम की योजना 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किए जाने से काफी पहले बना ली गई थी. 'रण संवाद 2025' में तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने रक्षा क्षेत्र की मौजूदा व भावी चुनौतियों और इनसे निपटने के उपायों पर विचार मंथन किया. इस दौरान विशेष बलों के संचालन और हवाई अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांत भी जारी किए गए.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं