IAS Nagarjun Gowda: राष्ट्रीय जल पुरस्कार मिलने के बाद मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का नाम देशभर में गूंजा, तो इसके पीछे केवल एक प्रशासनिक योजना नहीं, बल्कि एक अफसर का निजी संघर्ष और बचपन का अनुभव भी जुड़ा था. यह अफसर हैं खंडवा जिला पंचायत सीईओ IAS डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा, जिनकी कहानी कर्नाटक के सूखा प्रभावित तिप्तूर से शुरू होकर खंडवा के जल अवार्ड पर उठते सवालों तक पहुंचती है.
आईएएस नागार्जुन गौड़ा का जन्म व माता-पिता
दरअसल, कर्नाटक के तुमकुरु जिले का तिप्तूर एक ऐसा इलाका है, जहां बूंद-बूंद पानी हमेशा से संघर्ष का विषय रहा है. यहीं के एक छोटे गांव में IAS डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा का जन्म 5 मई 1992 को बेट्टे गौड़ा और प्रभा गौड़ा के घर में हुआ. नागार्जुन के माता-पिता दोनों शिक्षक हैं. नागार्जुन गौड़ा ने अपने गांव में पानी की किल्लत को सिर्फ देखा नहीं, बल्कि जिया भी. शायद यही वजह है कि सालों बाद जब वे IAS बने, तो जल संरक्षण उनके लिए केवल एक प्रशासनिक लक्ष्य नहीं, बल्कि व्यक्तिगत मिशन बन गया था.

ias nagarjun gowda CEO Zila Panchayat khandwa Madhya Pradesh
Photo Credit: instagram/arjun_gowda__ias
खंडवा को 2 करोड़ का राष्ट्रीय जल पुरस्कार
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के वर्षा जल संचयन कार्यक्रम के तहत देश में 'सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला जिला' घोषित किया गया, जिसके लिए 2 करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार मिला. 18 नवंबर 2025 को दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार प्राप्त करने के बाद IAS नागार्जुन गौड़ा ने कहा था कि “जब जल संचय, जन भागीदारी योजना शुरू हुई, तो यह मेरे लिए व्यक्तिगत हो गया.”
IAS नागार्जुन गौड़ा की बोरवेल की कहानी
राष्ट्रीय जल अवार्ड लेने के मौके पर न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में IAS नागार्जुन गौड़ा ने कहा था कि वह एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं. पड़ोसियों को पानी के लिए संघर्ष करते हुए देखकर बड़े हुए. उन्हें खुद को बोरवेल से कुछ बाल्टी पानी भरने के लिए लंबी दूरी तक साइकिल से चलकर जाना पड़ता था.
नागार्जुन गौड़ा कहते हैं कि “कभी-कभी मैं उस बोरवेल के लीवर को 10 मिनट तक खींचता था, तब जाकर एक-दो बाल्टी पानी मिल पाता था. तुमकुरु के ठीक उत्तर में चित्रदुर्ग है, जो कर्नाटक के सबसे सूखे इलाकों में से एक है और दशकों से सूखे की मार झेल रहा है.” पानी की किल्लत उनको मांड्या के मेडिकल स्कूल में भी देखने को मिली, जहां पानी की कमी और बार-बार होने वाले कावेरी संकट ने उन पर गहरा असर डाला.

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Nagarjun Gowda ने UPSC के लिए छोड़ी डॉक्टरी
सूखे से जूझते तिप्तूर में पले-बढ़े नागार्जुन गौड़ा ने पढ़ाई के दम पर MBBS की डिग्री हासिल की और डॉक्टर बने. लेकिन इलाज के कमरे में बैठकर उन्होंने महसूस किया कि व्यवस्था की बीमारियों का इलाज सिस्टम के भीतर से ही संभव है. यही सोच उन्हें UPSC तक ले गई.
UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2018 में उन्होंने 418वीं रैंक हासिल की और 2019 बैच के IAS अधिकारी बने. शुरुआत में उन्हें मणिपुर कैडर मिला. इसी परीक्षा में उनकी पत्नी सृष्टि जयंत देशमुख ने ऑल इंडिया रैंक 5 हासिल की और उन्हें मध्य प्रदेश कैडर मिला. दोनों ने 22 अप्रैल 2022 को विवाह किया, जिसके बाद ग्राउंड के आधार पर नागार्जुन गौड़ा का कैडर ट्रांसफर मणिपुर से मध्य प्रदेश हो गया.
खंडवा जिला पंचायत के सीईओ नागार्जुन गौड़ा
साल 2024 में नागार्जुन गौड़ा को हरदा में ADM से खंडवा जिला पंचायत के CEO पद पर लगाया गया. खंडवा में पोस्टिंग के दौरान डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा को वह मौका मिला, जहां उनका बचपन और उनका प्रशासनिक दायित्व एक-दूसरे से जुड़ गया.

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जल संचय जन भागीदारी अभियान खंडवा मध्य प्रदेश
खंडवा के जिला कलेक्टर ऋषव गुप्ता के नेतृत्व में, उन्होंने जल संचय, जन भागीदारी (JSJB) अभियान को जिलेभर में एक आंदोलन का रूप दिया. खंडवा में जल संचय, जन भागीदारी के तहत गांव के लेखाकार से लेकर जिला स्तर के अफसरों तक, पूरी टीम गांव-गांव पहुंची. किसानों, स्कूलों, सरकारी कार्यालयों और आम लोगों को वर्षा जल संचयन अपनाने के लिए प्रेरित किया गया.
खंडवा को क्यों मिला राष्ट्रीय जल अवार्ड?
नतीजा यह रहा कि खंडवा जिले में 1.25 लाख से अधिक जल संरक्षण कार्य किए गए, जिनमें 40 हजार से ज्यादा रूफटॉप रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, रिचार्ज पिट और ट्रेंच शामिल रहे. इसी कार्य के दम पर खंडवा देशभर में अव्वल रहा और 18 नवंबर 2025 को राष्ट्रीय जल अवार्ड मिला.

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AI तस्वीरों पर उठा विवाद, प्रशासन की सफाई
हालांकि अब यही अवार्ड AI-जनरेटेड तस्वीरों को लेकर उठे सवालों के कारण विवाद में है. डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा को सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया जाने लगा. पूरे मामले पर डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा और खंडवा जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि JSJB पोर्टल और ‘कैच द रेन' (CTR) पोर्टल अलग-अलग हैं.
JSJB और CTR पोर्टल को लेकर स्थिति साफ
खंडवा जिला प्रशासन के मुताबिक, JSJB अवार्ड के मूल्यांकन में केवल सत्यापित तस्वीरों को ही शामिल किया गया था, जबकि CTR पोर्टल पर अपलोड कुछ शैक्षणिक AI तस्वीरों का खंडवा को मिले राष्ट्रीय जल अवार्ड से कोई संबंध नहीं है. एक मीडिया रिपोर्ट में भ्रामक खबरें प्रकाशित की गई, जिसका खंडवा जिला प्रशासन ने पूरी तरह से खंडना किया है.
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