यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने AFSPA (अफस्पा) को लेकर पार्टी पर हमला बोला है. सिन्हा (Yashwant Sinha) ने बुधवार को एक ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में तो अभी अफस्पा को हटाने की बात ही की है. लेकिन आपने तो इसे अरुणाचल प्रदेश में हटा भी दिया . उन्होंने (Yashwant Sinha) अपने ट्वीट में लिखा कि भारत सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के चार पुलिस स्टेशन से अफस्पा को हटा दिया है. इन पुलिस स्टेशन पर यह कानून बीते 32 साल से लागू था. बीजेपी अगर अफस्पा हटाए तो यह देशभक्ति है लेकिन कोई और अगर यह करने की बात भी करे तो वह सशस्त्र बलों के खिलाफ और देशद्रोही होता है. आपका झूठ की दुनिया में स्वागत है.
Govt of India has withdrawn Afspa from four police stations in Arunachal Pradesh a few days ago after 32 years. But it is patriotic if BJP does it. If others even think or talk about it they are anti armed forces and anti national. Welcome to the world of lies.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) April 3, 2019
बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब यशवंत सिन्हा ने केंद्र सरकार पर हमला बोला हो. यशवंत सिन्हा ने इससे पहले ममता बनर्जी द्वारा बुलाई गई रैली में पीएम मोदी और उनकी नीतियों पर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि वे (सत्ताधारी दल) कहते हैं कि हम मोदी को हटाने के लिए एकसाथ आए हैं. मगर मैं यहां बता दूं कि हम मोदी को हटाने के लिए नहीं हैं. सिन्हा ने कहा था कि यह प्रश्न एक व्यक्ति का नहीं है. यह एक सोच और विचारधारा का सवाल है. हम एक सोच और उस विचारधारा के विरोध में यहां एकट्ठा हुए हैं. पिछले 56 महीने में जो घाटा हुआ है, वह प्रजातंत्र को हुआ है. बीजेपी की पूर्व सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कहा था कि देश के किसी भी संस्थान को बर्बाद करने में बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ी है. हम लोकशाही को बचाने के लिए एकत्रित हुए हैं. हमारे लिए मोदी मुद्दा नहीं, मुद्दे मुद्दा हैं. वो चाहते हैं हम मोदी को मुद्दा बनाएं, हम मुद्दे को मुद्दा बनाएंगे.
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वहीं, इससे पहले यशवंत सिन्हा ने राज्यों में बीजेपी की हार पर भी तंज कसा था. यशवंत सिन्हा ने लिखा था कि इसमें कोई शक नहीं कि पांच राज्यों में बीजेपी के खिलाफ परिणाम आए, खास तौर पर तीन हिन्दी पट्टी के राज्यों में. उन राज्यों, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में यह स्थिति बनी जहां बीजेपी का मजबूत आधार रहा है और जहां कुशाभाऊ ठाकरे जैसे नेताओं ने वर्षों मेहनत करके पार्टी के लिए जमीन तैयार की. सन 2013 में प्राप्त सीटों की संख्या को लेकर देखें तो मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बहुत नुकसान हुआ. यह गूंजते रहने वाली हार है. दूसरी बात, एक्जिट पोल के अनुमान एक बार फिर हमेशा की तरह खरे नहीं उतरे. सबसे पहले, तो यह आकलन अन्य देशों में होने वाले एक्जिट पोल की तरह वैज्ञानिक नहीं हैं. और फिर वे सत्तारूढ़ पार्टी से प्रभावित आंकड़ों के साथ भी आते हैं. यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है.
VIDEO: अफस्पा को लेकर छिड़ा विवाद.
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