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This Article is From Apr 05, 2019

कौन जीतेगा बागपत की लड़ाई, क्या गठबंधन की ताकत बनेगी PM मोदी की तोड़?

बागपत (Baghpat Seat) कभी बहुत बड़ी सीट हुआ करती थी. गाज़ियाबाद तक का इलाक़ा बाग़पत में आता था. इस सीट ने देश को एक प्रधानमंत्री भी दिया है.

बागपत सीट पर जयंत चौधरी की भिड़ंत बीजेपी के सत्यपाल सिंह से है.

नई दिल्ली:

बागपत (Baghpat Seat) कभी बहुत बड़ी सीट हुआ करती थी. गाज़ियाबाद तक का इलाक़ा बाग़पत में आता था. इस सीट ने देश को एक प्रधानमंत्री भी दिया है. किसान नेता चौधरी चरण सिंह 1977 में इसी सीट से चुनाव जीते थे, वो प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे लेकिन जनता पार्टी के भीतर संगठन कांग्रेस के मोरारजी देसाई चुन लिए गए. चौधरी चरण सिंह तब गृह मंत्री बने. 1979 में जनता पार्टी टूटी तो एक धड़े ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया. ये अलग बात है कि वो संसद का मुंह नहीं देख सके. कांग्रेस ने उनकी सरकार गिरा दी. ये कहानी इसलिए याद दिला रहा हूं कि आप समझ सकें कि न गठजोड़ की राजनीति भारत में नई है और न ही उसके नाम पर होने वाले छल, लेकिन ऐसा नहीं कि सबकुछ पुराना ही है.

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बागपत सीट ने इस बदलाव को बहुत करीब से देखा है. 1967 में यहां से जनसंघ ने जीत हासिल की थी. रघुवीर सिंह शास्त्री सांसद बने थे, लेकिन वह समाजवादियों का दौर था. 1971 में इंदिरा लहर ऐसी चली कि फिर से सीट कांग्रेस को चली गई. मगर इसके बाद बागपत सीट चौधरी चरण सिंह की खानदानी सीट हो गई. तीन बार यहां से चौधरी चरण सिंह जीते. जनता पार्टी में रहते हुए भी और लोकदल से भी. इसके बाद छह बार यहां से उनके बेटे अजित सिंह जीतते रहे.

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अजित सिंह की पार्टियों के नाम बदलते गए, उनकी हैसियत बनी रही. दो बार वो जनता दल से लड़े, एक बार भारतीय कामगार किसान पार्टी से और तीन बार राष्ट्रीय जनता दल से. बेशक, एक बार उन्हें 1980 में बीजेपी के सोमपाल शास्त्री ने हराया और 2014 में सत्यपाल सिंह ने. अब सत्यपाल सिंह इस बार भी मैदान में हैं. इस बार अजित सिंह नहीं, उनके बेटे जयंत चौधरी इस सीट पर हैं. ख़ास बात ये है कि वो अकेले नहीं हैं. उनके साथ सपा और बसपा का गठबंधन है.

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एक तरह से उन्हें कांग्रेस का सहयोग भी मिला है. इस सीट से कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है. जैसा कि रिवाज है- जयंत चौधरी और सत्यपाल सिंह दोनों अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. इस सीट पर बीजेपी की ओर से प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ भी आ चुके हैं और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी, लेकिन जयंत चौधरी के साथ गठबंधन का बल है और वही उनकी ताक़त है.

VIDEO: बागपत से दूसरी बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में सत्‍यपाल सिंह​

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