Baghpat Seat
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उत्तर प्रदेश चुनाव : बागपत में सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे
- Monday January 24, 2022
- Reported by: हिमांशु शेखर मिश्र, Edited by: सूर्यकांत पाठक
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के संसदीय क्षेत्र बागपत में इस बार सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. 2022 के विधान सभा चुनावों में जाट और मुसलमान वोटरों का समर्थन जीतने के लिए चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. लेकिन कई सीटों पर दोनों पार्टियों के समर्थकों में खींचतान शुरू हो गई है. गठबंधन के उम्मीदवारों को अंदर से विरोध झेलना पड़ रहा है.
- ndtv.in
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कौन जीतेगा बागपत की लड़ाई, क्या गठबंधन की ताकत बनेगी PM मोदी की तोड़?
- Friday April 5, 2019
- ख़बर न्यूज़ डेस्क
बागपत (Baghpat Seat) कभी बहुत बड़ी सीट हुआ करती थी. गाज़ियाबाद तक का इलाक़ा बाग़पत में आता था. इस सीट ने देश को एक प्रधानमंत्री भी दिया है. किसान नेता चौधरी चरण सिंह 1977 में इसी सीट से चुनाव जीते थे, वो प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे लेकिन जनता पार्टी के भीतर संगठन कांग्रेस के मोरारजी देसाई चुन लिए गए. चरण सिंह तब गृह मंत्री बने. 1979 में जनता पार्टी टूटी तो एक धड़े ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया. ये अलग बात है कि वो संसद का मुंह नहीं देख सके. कांग्रेस ने उनकी सरकार गिरा दी. ये कहानी इसलिए याद दिला रहा हूं कि आप समझ सकें कि न गठजोड़ की राजनीति भारत में नई है और न ही उसके नाम पर होने वाले छल, लेकिन ऐसा नहीं कि सबकुछ पुराना ही है.
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पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के संसदीय क्षेत्र बागपत में इस बार सपा-आरएलडी गठबंधन पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. 2022 के विधान सभा चुनावों में जाट और मुसलमान वोटरों का समर्थन जीतने के लिए चौधरी चरण सिंह के पोते और आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया है. लेकिन कई सीटों पर दोनों पार्टियों के समर्थकों में खींचतान शुरू हो गई है. गठबंधन के उम्मीदवारों को अंदर से विरोध झेलना पड़ रहा है.
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