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This Article is From May 13, 2019

इस बार चुनाव मैदान में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार सबसे अधिक

लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से 19% पर आपराधिक केस दर्ज, 55 उम्मीदवारों के खिलाफ मर्डर के केस और 184 के खिलाफ हत्या की कोशिश के मामले दर्ज

इस बार चुनाव मैदान में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार सबसे अधिक
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव इसी हफ्ते खत्म हो रहा है. इस बार के चुनाव में काफी कुछ नया दिखा. हालांकि सबसे हैरान करने वाली बात रही चुनाव मैदान में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अपराधियों की मौजूदगी, जो अब तक के सभी चुनावों से सबसे ज़्यादा है.

चुनावों पर नज़र रखने वाली संस्था एडीआर-इलेक्शन वाच के मुताबिक  2019 के चुनाव में 7928 उम्मीदवारों में से 1500 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले डिक्लेयर किए हैं. सन 2009 में 15% उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले थे, 2014 के चुनाव में 17% पर मामले थे. यह 2019 में बढ़कर 19% पहुंच गए हैं. 2019 के चुनाव में 55 उम्मीदवारों के खिलाफ मर्डर केस और 184 के खिलाफ अटेम्पट टू मर्डर (हत्या की कोशिश) केस दर्ज़ हैं.    

एडीआर/इलेक्शन वॉच के संस्थापक जगदीप चोकर ने एनडीटीवी से कहा, "राजनीति का अपराधीकरण लगातार बढ़ रहा है लेकिन कोई राजनीतिक दल चिंतित नहीं है."

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चुनाव में 7928 उम्मीदवारों की स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि चुनावों में पैसे का भी बोलबाला बढ़ रहा है. एडीआर-इलेक्शन वाच के मुताबिक 7928 उम्मीदवारों की स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि कुल 2297 उम्मीदवार करोड़पति हैं यानी 29 प्रतिशत! यह महत्वपूर्ण है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में 27% उम्मीदवार करोड़पति थे. जबकि उससे पहले 2009 के चुनाव में सिर्फ 16% उम्मीदवार करोड़पति थे.

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एडीआर/इलेक्शन वॉच के हेड अनिल वर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "राजनीति में पैसे का बोलबाला बढ़ रहा है." अनिल वर्मा कहते हैं कि चुनावों में बेतहाशा पैसा खर्च किया जा रहा है और राजनीतिक दल कितना खर्च कर सकते हैं इस पर कोई रुकावट नहीं है. अनिल वर्मा ने कहा - अब समय आ गया है कि राजनीतिक दल चुनावों में कितना पैसा खर्च कर सकते हैं, इसकी सीमा तय की जाए.

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एक और चिंता वाली बात महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर उठ रही है. 2019 के चुनावों में सिर्फ 9% उम्मीदवार महिला हैं. हालांकि 2009 में स्थिति और खराब थी जब सिर्फ 7% महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थीं. सन 2014 के चुनाव में मामूली बढ़ोत्तरी हुई थी और महिला उम्मीदवारों की भागीदारी बढ़कर 8% हो गई थी.

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