एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी हालही में जारी की रिपोर्ट में देश के 57 क्षेत्रीय दलों में से 39 रीजनल पार्टियों की कमाई और खर्च की रिपोर्ट (Regional Parties income Expenditure Report) जारी की है. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022-23 कमाई और खर्च के मामले में कौन सा दल सबसे ऊपर और नीचे है. किसको कितना चंदा मिला है और खर्च किया गया पैसा कितना प्रतिशत है.
भारत राष्ट्र समिति (BRS) टॉप पर है. जबकि पैसा खर्च करने के मामले में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सबसे आगे रही. चुनाव अधिकार निकाय ADR के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए चंद्रशेखर राव की बीआरएस 737.67 करोड़ रुपये की इनकम के साथ क्षेत्रीय दलों के बीच कमाई के मामले में टॉप पर है. बीआरएस की इनकम क्षेत्रीय दलों की कुल आमदनी की 42.38 प्रतिशत है.
ADR रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे ज्यादा खर्च करने वाली टॉप-5 पार्टियों में टीएमसी सबसे ऊपर है. ममता बनर्जी की पार्टी ने वित्त वर्ष 2022-2023 में 181.18 करोड़ रुपये खर्च किया, जो कि क्षेत्रीय दलों के कुल खर्च का 37.66 प्रतिशत है.
किस क्षेत्रीय दल ने कितना खर्च किया?
- TMC-181.18 करोड़ रुपये (37.66 प्रतिशत) खर्च
- वाईएसआर-कांग्रेस- 79.32 करोड़ (16.49 प्रतिशत) खर्च
- बीआरएस- 57.47 करोड़ (11.94 प्रतिशत) खर्च
- DMK-52.62 करोड़ (10.94 प्रतिशत) खर्च
- समाजवादी पार्टी- 31.41 करोड़ (6.53 प्रतिशत) खर्च
टॉप-5 पार्टियों की कुल इनकम
विश्लेषण के मुताबिक, टॉप पांच दलों की कुल इनकम 1,541.32 करोड़ रुपये रही, जो कि क्षेत्रीय दलों की कुल इनकम का 88.56 प्रतिशत है. जबकि 39 क्षेत्रीय दलों की कुल घोषित आय 1,740.48 करोड़ रुपये है. दरअसल चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के सालाना ऑडिट रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा 31 अक्टूबर, 2023 रखी थी. हालांकि, इनमें से केवल 16 ने ही समय सीमा का पालन किया. 23 दलों ने अपनी रिपोर्ट देर से सौंपी. रिपोर्ट में 3 से लेकर 150 दिन तक की देरी हुई.
क्या कहती है ADR की रिपोर्ट?
एडीआर के मुताबिक, रिपोर्ट तैयार करने के समय शिवसेना (एसएचएस), बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF), जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और शिवसेना (यूबीटी) जैसे प्रमुख दलों समेत 18 क्षेत्रीय दलों की ऑडिट रिपोर्ट निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं थी.कुल 19 क्षेत्रीय दलों ने वित्त वर्ष के लिए अव्ययित आय की घोषणा की.
किसने इनकम से ज्यादा खर्च किया?
बीआरएस के पास खर्च नहीं की गई सर्वाधिक 680.20 करोड़ रुपये की आय रही. इसके बाद बीजू जनता दल की 171.06 करोड़ रुपये और द्रमुक की 161.72 करोड़ रुपये की आय खर्च नहीं की जा सकी. इसके उलट 20 दलों ने अपनी इनकम से ज्यादा खर्च किया. जनता दल (सेक्युलर) ने अपनी आय से 490.43 प्रतिशत ज्यादा खर्च किया. चंदा और चुनावी बॉण्ड समेत स्वैच्छिक अंशदान राजनीतिक दलों के लिए इनकम का प्राथमिक स्रोत थे, जिनकी राशि 1,522.46 करोड़ रुपये या कुल आय का 87.47 प्रतिशत थी.
चुनावी बॉन्ड से आई कितनी रकम?
इसमें से 1,285.83 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड से आए. सिर्फ आठ क्षेत्रीय दलों ने चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा लेने का ऐलान किया. एडीआर की रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि चुनाव आयोग कड़ी समय सीमा लागू करे और देर से या ऑडिट रिपोर्ट जमा न करने पर राजनीतिक दलों को दंडित करें. राजनीतिक चंदा में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत दानकर्ता के विवरण का पूरा खुलासा करने की भी अपील की गई है. रिपोर्ट में आयकर अधिनियम की धारा 13ए और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (सी) जैसे कानूनों को सख्ती से लागू करने का आह्वान किया गया है, जो राजनीतिक दलों द्वारा अपनी वित्तीय स्थिति का खुलासा करने को अनिवार्य बनाते हैं.
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