लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. यह चुनाव मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लड़ा जाएगा. पार्टियां विभिन्न सोशल साइट्स के साथ-साथ अन्य डिजिटल माध्यमों को बड़े स्तर पर इस्तेमाल करने वाली हैं. चुनाव पंड़ितों की मानें तो इस बार का चुनाव अभी तक देश में हुए सभी चुनावों से पूरी तरह से अलग होने वाला है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पार्टियां ग्राउंड जीरो के साथ-साथ साइबर स्पेस का भी जमकर इस्तेमाल करने की तैयारी में है. लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में इस बार राजनीतिक पार्टियों को व्हाट्सऐप के रूप में एक नया माध्यम मिला है. व्हाट्सऐप उपभोक्ताओं की संख्या को लेकर हाल में जारी रिपोर्ट्स के अनुसार बीते पांच साल में फेसबुक व अन्य सोशल साइट्स की तुलना में इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. लिहाजा पार्टियां अन्य सोशल साइटों के साथ-साथ इसे लेकर भी अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी हैं. आइये जानते हैं इस बार के चुनाव में वह कौन 5 ऐसे माध्यम होंगे जिनकी मदद से विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपने मतदाताओं को रिझाने की कोशिश करेंगी.
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डिजिटल मूविंग स्क्रीन- इस बार राजनीतिक पार्टियों के केंद्र में शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी समान्य रूप से फोकस कर रही है. खासतौर पर सुदूर इलाकों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. ऐसे में इस बार ऐसे माध्यमों का पहले की तुलना में ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा जो लोगों को अपनी तरफ समान्य रूप से आकर्षित कर सके. ऐसा ही एक डिजिटल माध्यम है डिजिटल मूविंग स्क्रीन. राजनीतिक पार्टियां अपने पार्टी अध्यक्ष या बड़े राजनेता के कटआउट के साथ किसी वाहन पर एक डिजिटल स्क्रीन फिक्स करती है. इसपर पार्टी द्वारा किए गए काम से लेकर पार्टी के नए वादों की जानकारी दी जाती है. आम जनता के लिए सरकार के काम या विपक्षी दल के वादों को लेकर एक विशेष वीडियो चलाया जाता है. ताकि लोगों को सधारण तरीके से पार्टी की योजनाओं के बारे में बताया जा सके.
व्हाट्स ऐप- लोकसभा चुनाव 2014 की तुलना में इस बार के चुनाव में व्हाट्सऐप एक नया हथियार की तरह साबित होने वाला है. रिपोर्ट्स की मानें तो बीते पांच साल में शहरी क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में व्हाट्सएप का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. अब राजनीतिक पार्टियां लोगों को लुभाने के लिए इस माध्यम का भी बढ़चढ़ कर प्रयोग करने की तैयारी में हैं.
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नमों ऐप - सरकार इस ऐप के इस्तेमाल से बीते पांच साल में अपने द्वारा किए कामों को आम जनता तक पहुंचाने की तैयारी में है. इस ऐप की मदद से पीएम मोदी खुद सरकार के कामों का लेखाजोखा आम जनता तक पहुंचाते रहे हैं. इस ऐप की मदद से आम जनता तक सरकार के अहम फैसलों की भी जानकारी दी जाती रही है. अब इस ऐप का इस्तेमाल चुनाव के दौरान आम जनता तक सरकार की उपलब्धियों को पहुचाने के लिए किया सकता है. इस ऐप की मदद से सरकार सांसद के कामों का लेखा जोखा भी सामने रख सकती है.
शक्ति ऐप - देश की सबसे बड़ी पार्टी में से एक कांग्रेस इस ऐप की मदद से अपनी भविष्य की योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने का काम करती है. कांग्रेस ने कुछ समय पहले ही इस ऐप को लांच किया है. इस ऐप पर ब्लाक स्तर से लेकर ऊपर स्तर के नेताओं को जोड़ा गया है. इस ऐप की मदद से कांग्रेस अपने हर स्तर के कार्यकर्ताओं तक अपनी योजनाएं पहुंचाने का काम करती है. चुनाव के दौरान भी इस ऐप की मदद से कांग्रेस बीजेपी पर हमला कर सकती है. इस ऐप की मदद से राहुल गांधी देश के हरेक नागरिक तक पहुंचना चाहते हैं. अब तक इस ऐप पर बड़ी संख्या में लोगों का डेटा बेस तैयार किया गया है. जिसका इस्तेमाल चुनाव के समय किया जाएगा.
फेसबुक - अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की तरह ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियां इस बार भी फेसबुक का बढ़-चढ़कर इस्तेमाल करने वाले हैं. बता दें कि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी इस प्लेटफॉर्म का बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया गया था. इस प्लेटफॉर्म की मदद से पार्टियां वीडियो से लेकर तमाम तरह की सामग्री आम जनता तक बगैर किसी देरी के पहुंचा सकते हैं. हालांकि कुछ समय पहले चुनाव के दौरान फेसबुक के डेटा का गलत इस्तेमाल की भी बात सामने आई थी, जिसपर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई थी. लेकिन इन सब के बावजूद इस चुनाव में यह अन्य सोशल प्लेटफॉर्म की तरह ही राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा प्लेटफॉर्म साबित होने वाला है.
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