सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी वीवीपीएटी (VVPAT) पर्चियों की जांच किए जाने की मांग को लेकर लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर इस मामले में दखल दिया गया तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा. दरअसल चेन्नई के टेक फॉर ऑल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि तकनीकी तौर पर वीवीपीएटी (VVPAT) से जुड़ी ईवीएम (EVM) सही नहीं हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कि आप न्यूसेंस क्रिएट कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने गोवा और उड़ीसा के अलावा ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से सभी ईवीएम का वीवीपीएटी से मिलान करने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'इस मामले पर पहले ही मुख्य न्यायाधीश की बेंच फैसला दे चुकी है फिर आप इस मामले को वेकेशन बेंच के सामने क्यों उठा रहे हैं?'. इस याचिका को बकवास बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यही करते रहे तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा.
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इससे पहले मंगलवार 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान को लेकर सुनवाई हुई थी. इस दौरान विपक्ष के द्वारा दाखिल की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. विपक्ष की मांग थी कि 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों की ईवीएम से मिलान का आदेश चुनाव आयोग को दिया जाए. याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अदालत इस मामले को बार-बार क्यों सुने.
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बता दें 50 फीसदी तक VVPAT पर्चियों के EVM से मिलान की मांग पर चुनाव आयोग ने कहा था कि वीवीपीएटी स्लिप काउंटिंग की वर्तमान पद्धति में कोई बदलाव संभव नहीं है. पैनल ने यह भी कहा कि अगर वीवीपीएटी की पर्चियों की गिनती 50 फिसदी बढ़ जाती है तो लोकसभा चुनाव परिणाम 6- 9 दिनों की देरी से आएगा. अपने हलफनामे में आयोग ने कहा है कि औसतन, एक मतदान केंद्र की वीवीपीएटी स्लिप काउंट के लिए एक घंटे का समय लगता है. अगर कुल विधानसभा क्षेत्र की संख्या 50% तक बढ़ जाती है तो कम से कम 6 दिन लगेंगे. और कुछ विधानसभाक्षेत्रों में 400 से अधिक बूथ हैं तो वहां मतगणना में 9 दिन लग सकते हैं.
VIDEO: सुप्रीम कोर्ट में EVM और VVPAT
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