इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रौदा (Sam Pitroda) ने एनडीटीवी के खास कार्यक्रम 'हम लोग' में बातचीत के दौरान 'ऑपरेशन बालाकोट' का जिक्र किया. उन्होंने (Sam Pitroda) कहा कि मैंने 'ऑपरेशन बालाकोट' को लेकर जो कुछ भी कहा उसे शुरू से ही गलत तरीके से पेश किया गया है. मैंने 'ऑपरेशन बालाकोट' पर सवाल नहीं उठाए लेकिन मोदी सरकार से सवाल जरूरी पूछे हैं. सैम पित्रौदा (Sam Pitroda) ने कहा कि 'ऑपरेशन बालाकोट' को लेकर दिया मेरा बयान सिर्फ एक प्रश्न था. आज हो ये रहा है कि मीडिया को बेच दिया गया है. जो सवाल मीडिया को पूछना चाहिए वह हम पूछ रहे हैं. मैंने सिर्फ यह पूछा था कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने जो रिपोर्ट छापी थी उससे ऐसा लग रहा था कि भारत के हमले में किसी आतंकी की मौत नहीं हुई. मैंने सिर्फ यही पूछा कि क्या आपके के पास कोई ऐसा सबूत है जो न्यूयॉर्क टाइम्स के इस रिपोर्ट को गलत बताता हो. इसी बात को मीडिया चैनल ने बड़ा बना दिया. उन्होंने (Sam Pitroda) कहा कि आज के समय मीडिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं. मीडिया ने मेरे बयान को जानबूझकर गलत तरीके से पेश किया.
सैम पित्रौदा ने कहा कि हमारी पार्टी को हवाई हमले पर कोई शक नहीं है लेकिन सरकार के अलग-अलग मंत्री अलग-अलग बयान दे रहे थे. अलग-अलग आंकड़े दिए जा रहे थे. ऐसे में यह जानना हमारा अधिकार है कि हमारे जवानों ने सच में कितने आतंकी मारे.उन्होंने कहा कि बीजेपी राष्ट्रवाद को इसलिए जानबूझकर मुद्दा बना रही है क्योंकि उनके पास पांच साल जो काम किया है वैसा कुछ बताने के लिए नहीं है. अगर उन्होंने काम किया होता तो वह आज सिर्फ अपने काम का प्रचार कर रहे होते.
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सैम पित्रौदा ने बातचीत के दौरान देश में नौकरी के हालात पर भी बात की. उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वह साल दो करोड़ युवाओं को रोजगार देंगे लेकिन पीएम ने पूरे पांच साल में भी शायद दो करोड़ नौकरियां नहीं दी हैं. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो युवाओं को नौकरियां देंगे. पहले भी मनमोहन सिंह के कार्यकाल में नौकरियां पैदा हुई. कांग्रेस सरकार ने पहले भी देश में नई नौकरियां बनाई हैं और आगे भी नई नौकरी बनाएगी. कांग्रेस के पास नौकरी पैदा करने का बेहतर रिकॉर्ड है. इसका फायदा युवाओं को मिलेगा.
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उन्होंने कांग्रेस की 'न्याय' की भी तारीफ की. सैम ने कहा कि मैनिफ़ेस्टो के लिए एक-एक चीज़ पर सैकड़ों घंटे बात हुई. मैनिफ़ेस्टो में जनता की राय ली गई, 'ये मैनिफ़ेस्टो बस विश लिस्ट नहीं है. जब उनसे पूछा गया कि गरीबों के लिए हर साल 72 हजार रुपये कहां से आएंगे तो उनका कहना था कि न्यूनतम आय का फ़ैसला व्यवहारिक है. ग्लोबल इकोनॉमिस्ट ने न्याय पर पर सोचा है. ग़रीबों के लिए दिल से सोचना पड़ता है, बैलेंस शीट देखकर नहीं.
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सैम ने सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी बात की. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल बढ़ा है. सोशल मीडिया पर पहचान छिपाना आसान है इसलिए लोग झूठ फैलाते हैं. ज्यादातर हमले करने वाले फर्जी होते हैं. पित्रोदा ने मीडिया की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए.
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