क्या 'तरुण' के प्रेम में बड़े बेटे तेज प्रताप से दूर हुए लालू यादव?

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) अपने राजनीतिक वारिस और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को 'तरुण' के नाम से बुलाते हैं.

क्या 'तरुण' के प्रेम में बड़े बेटे तेज प्रताप से दूर हुए लालू यादव?

लालू यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को 'तरुण' के नाम से बुलाते हैं.

खास बातें

  • आरजेडी ने शिवहर सीट से अपना प्रत्याशी उतारा
  • इस सीट को लेकर पिछले दो हफ्ते से रस्साकसी जारी थी
  • तेज प्रताप अपने करीबी को यहां से टिकट दिलाना चाहते थे
पटना :

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Prasad Yadav) अपने राजनीतिक वारिस और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को 'तरुण' के नाम से बुलाते हैं. पिछले कुछ दिनों से लालू (Lalu Yadav) के परिवार में सियासी जंग छिड़ी हुई है और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) मोर्चा खोले हुए हैं, लेकिन शनिवार को जब लालू की पार्टी ने शिवहर से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो इससे साफ हो गया कि लालू यादव  'तरुण' के प्रेम में तेज प्रताप के मोह से निकल गए हैं. आपको बता दें कि तेज प्रताप यादव  (Tej Pratap Yadav) ने शिवहर सीट को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था और अपने नजदीकी अंगेश सिंह को यहां से टिकट दिलाना चाहते थे. इसके लिए पिछले दो सप्ताह से भी प्रयास भी कर रहे थे, लेकिन आरजेडी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए शनिवार को शिवहर सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया और सैयद फैसल अली को यहां से मैदान में उतारा है. फैसल अली पत्रकारिता के बाद सियासत में उतरे हैं.  

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आरजेडी के इस फैसले के बाद तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने एक ट्वीट किया और परोक्ष रूप से भाई तेजस्वी (Tejashwi Yadav) पर निशाना साधा. तेजप्रताप के इस ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे हैं, लेकिन पार्टी नेताओं का कहना है कि तेज प्रताप कुछ भी ट्वीट करें या कोई भी बयान दें, लेकिन लालू यादव ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ही हैं. अगर कोई उन्हें चुनौती देगा, उस स्थिति में वह लालू के समर्थन और सहानुभूति की उम्मीद नहीं कर सकता है. भले ही वो उनके अपने बेटे तेज प्रताप यादव ही क्यों न हों.

दूसरी तरफ, तेज प्रताप के करीबियों का कहना है कि इस पूरी पारिवारिक जंग में तेजस्वी तेज प्रताप को इसलिए भी मात दे देते हैं, क्योंकि लालू (Lalu Yadav) और राबड़ी देवी को यह लगता है कि वे अपने मामा साधु यादव के उकसावे पर ये सबकुछ कर रहे हैं.  इसका खामियाजा न केवल तेज प्रताप यादव को, बल्कि उनके करीबियों को भी उठाना पड़ रहा है. कहा जा रहा है कि तेज प्रताप अपने अगले कदम की घोषणा रविवार को करेंगे, लेकिन इन सबके बीच उनके नजदीकी लोग भी मानते हैं कि बिहार की राजनीति में फिलहाल तेज प्रताप के पास 'बांसुरी बजाने' के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है.   

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