Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव पहलवानी छोड़ राजनीति में कैसे आए और मैनपुरी क्यों है सपा का गढ़, जानें यहां...

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का नाम देश के कद्दावर नेताओं में लिया जाता है. उन्होंने एक साधारण परिवार से निकलकर उत्तर प्रदेश और देश की सियासत में एक बड़ी पहचान बनाई.

Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव पहलवानी छोड़ राजनीति में कैसे आए और मैनपुरी क्यों है सपा का गढ़, जानें यहां...

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)

नई दिल्ली:

मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का नाम देश के कद्दावर नेताओं में लिया जाता है. उन्होंने एक साधारण परिवार से निकलकर उत्तर प्रदेश और देश की सियासत में एक बड़ी पहचान बनाई. मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और एक बार देश के रक्षा मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं.  मुलायम सिंह यादव  (Mulayam Singh Yadav)  इस बार के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में भी मैनपुरी लोकसभा सीट से मैदान में हैं. मैनपुरी लोकसभा सीट को समाजवादी पार्टी (SP) का अभेद किला भी कहा जाता है, क्योंकि समाजवादी पार्टी पिछले 22 सालों से इस सीट से चुनाव जीत रही है. मुलायम सिंह यादव को उनके पिता सुधर सिंह पहलवान बनाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने जोर आजमाइश भी शुरू कर दी थी. कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव ने पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित कर लिया था और यहीं से उनका राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई थी.

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मुलायम सिंह यादव का व्यक्तिगत जीवन
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जन्म 22 नवम्बर, 1939 को इटावा जिले के छोटे से गांव सैफई में हुआ था. मुलायम सिंह यादव ने शुरुआती दिनों में शिक्षण कार्य किया. लेकिन लोहिया और उनके साथ के लोगों के संपर्क में आने के बाद सियासत की ओर रुख किया. मुलायम सिंह यादव अपने पांच भाई-बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे व अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, रामगोपाल सिंह यादव और कमला देवी से बड़े हैं. राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.ए) एव जैन इन्टर कालेज करहल (मैनपुरी) से बी. टी. करने के बाद कुछ दिनों तक इन्टर कालेज में अध्यापन कार्य भी कर चुके हैं.


मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक सफर
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) को उनके राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह ने अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर से चुनावी मैदान में उतारा था. मुलायम सिंह यादव 28 साल की उम्र में उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे थे. इसके बाद से वो लगातार साल 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधायक रहे. लोकदल के विधायक के रूप में सियासत में कदम रखने वाले मुलायम ने 1992 में समाजवादी पार्टी की नींव रखी. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की जड़ें मजबूत करने में उनका अमूल्य योगदान माना जाता है. इस पार्टी ने प्रदेश में चार बार सरकार बनाई. तीन बार वह खुद मुख्यमंत्री रहे जबकि चौथी बार 2012 में उनके पुत्र अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी. अखिलेश यादव के कार्यकाल में उनके परिवार में विरासत को लेकर कड़ा संघर्ष शुरू हो गया था. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से एक बड़ी बैठक बुलाकर उनके पुत्र अखिलेश यादव ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया और मुलायम सिंह यादव को पार्टी का संरक्षक बना दिया गया. मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल से पद और सरकार में भूमिका को लेकर कड़ा संघर्ष चला, जिसका असर 2017 के विधानसभा के चुनाव पर भी हुआ. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा बुरी तरह हार गई और बाद में शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से अलग संगठन बना लिया. मुलायम सिंह यादव फिलहाल समाजवादी पार्टी के संरक्षक हैं और मैनपुरी से पार्टी के उम्मीदवार हैं.

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मुलायम सिंह यादव की केंद्रीय राजनीति
मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का केंद्रीय राजनीति में  साल 1996 में प्रवेश हुआ, जब कांग्रेस पार्टी को हराकर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई थी. एच. डी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे, किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी. बीजेपी के साथ उनकी विमुखता से लगता था, वह कांग्रेस के नजदीक होंगे, लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई थी. साल 2002 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था.