BJP-कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल है मध्यप्रदेश, बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

खजुराहो, शहडोल, मंडला, सीधी, छिंदवाड़ा, मंदसौर और विदिशा समेत कुछ सीटों पर टिकट बंटवारे को लेकर दलों के कार्यकर्ताओं में नाराजगी

BJP-कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल है मध्यप्रदेश, बागी बिगाड़ सकते हैं खेल

शहडोल में कांग्रेस से बीजेपी में आईं हिमाद्री सिंह को टिकट दिए जाने से पार्टी के मौजूदा सांसद ज्ञान सिंह नाराज हैं.

खास बातें

  • खजुराहो में बीजेपी उम्मीदवार बीडी शर्मा का पुतला जलाया गया
  • शहडोल में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के कार्यकर्ता नाराज
  • मंडला में कांग्रेस के प्रत्याशी की घोषणा के बाद घमासान
भोपाल:

लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां मध्यप्रदेश में पूरे शबाब पर हैं. लोकसभा की 29 सीटों में से कांग्रेस ने अब तक 28 पर और बीजेपी ने 24 पर अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. राज्य में कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां पर बागी उम्मीदवार खेल बिगाड़ सकते हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए उनके बागी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.

खजुराहो में बीजेपी नेता बीडी शर्मा का पुतला जलाया गया. पुतला जलाकर विरोध करने वाले लोग बीजेपी के ही कार्यकर्ता थे. खजुराहो में बीजेपी कार्यकर्ताओं की मांग है कि उनके क्षेत्र में स्थानीय प्रत्याशी को टिकट दिया जाए. बीजेपी ने जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर इस सीट पर बीडी शर्मा को प्रत्याशी बनाया है.  

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शहडोल लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी ने मौजूदा सांसद, पांच बार विधायक रहे और पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह का टिकट काट दिया. उनके स्थान पर कांग्रेस से बीजेपी में हाल ही में आईं हिमाद्री सिंह को टिकट दे दिया गया. इससे सांसद ज्ञान सिंह खासे नाराज हैं. ज्ञान सिंह का कहना है कि 'जब लाख-डेढ़ लाख से जीतने की बारी आई तो मुझे खिसका दिया. न मेरे पास धनबल है, न बाहुबल है, सिर्फ जनता का बल है.' शहडोल में कांग्रेस ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आईं पूर्व विधायक प्रमिला सिंह को टिकट दिया है. बताया जाता है कि उन्हें कमलनाथ की सिफारिश पर टिकट मिला है. स्थानीय कांग्रेस में विरोध प्रमिला सिंह का भी हो रहा है.

मंडला में लोकसभा प्रत्याशी घोषित होते ही कांग्रेस के अंदर घमासान मच गया है. पूर्व मंत्री गंगाबाई उरैती की बेटी रूपा उरैती ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. मंदसौर से बीजेपी सांसद सुधीर गुप्ता को दोबारा टिकट दिया जाने के बाद किसान नेता बंसी लाल गुर्जर के समर्थक नाराज दिखाई दे रहे हैं.

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छिंदवाड़ा से बीजेपी ने कांग्रेस के नकुलनाथ के खिलाफ नत्थनशाह कवरेती को टिकट दिया तो पूर्व विधायक रामदास उइके नाराज हो गए हैं. विदिशा से कांग्रेस ने शैलेन्द्र पटेल को टिकट दिया तो स्थानीय कांग्रेसी नाखुश हो गए हैं. सीधी में बीजेपी उम्मीदवार रीति पाठक का खुलकर विरोध हो रहा है. विरोध में कई पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफे तक दे दिए हैं.

साल 2018 के चुनाव की तरह 2019 के रण में भी बीजेपी और कांग्रेस को अपनों के खिलाफ डटे अपनों की नाराजगी झेलनी होगी. सियासी दलों के डैमेज कंट्रोल की कोशिशों पर अपनों की नाराजगी भारी पड़ती दिख रही है.

कांग्रेस बगावत को नकार रही है. पार्टी की प्रवक्ता शोभा ओझा कहती हैं कि बड़ी नाराजगी देखने को नहीं मिली. स्वंय मुख्यमंत्री जी लोगों से बात रहे हैं, उन्हें काम पर लगा रहे हैं, तो ऐसा बड़ा कहीं कोई मनमुटाव नहीं है.

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बीजेपी के प्रवक्ता राहुल कोठारी का कहना है कि बीजेपी बहुत बड़ा परिवार हो चुका है. कार्यकर्ता, जिसको टिकट नहीं मिल पाता, थोड़ा बहुत उद्वेलित रहता है. लेकिन जब टिकट का बंटवारा हो जाता है तो बहुत सारे समीकरण देखकर राजनीतिक, जातिगत, उसे देखकर पार्टी फैसला करती है. मुझे लगता है इसे बगावत नहीं अदावत के रूप में लेना चाहिए.

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यह तय है कि चुनाव में सियासी दलों को अपनों की चुनौती से दो-चार होना होगा और चुनाव में भितरघात का भी सामना करना होगा. टिकट बंटवारे से पहले ही बीजेपी-कांग्रेस ने एक डैमेज कंट्रोल टीम बना दी थी ताकि टिकट वितरण के बाद मचे बवाल को शांत किया जाए. लेकिन कई सीटों पर डैमेज कंट्रोल टीम पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों की ही डैमेज कंट्रोल टीमें अपनों के बागी तेवरों के आगे नतमस्तक नजर आ रही हैं.