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महीनों का प्रशिक्षण और फिर हवाई जहाज का सफर... बेंगलुरु से जापान पहुंचे 4 हाथी

बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क से चार हाथी हवाई सफर के बाद सफलतापूर्वक जापान के हिमेजी स्थित हिमेजी सेंट्रल पार्क सफारी पार्क में पहुंच गए हैं. इन हाथियों के साथ विशेषज्ञों की एक टीम भी गई है.

महीनों का प्रशिक्षण और फिर हवाई जहाज का सफर... बेंगलुरु से जापान पहुंचे 4 हाथी
हवाई यात्रा के लिए हाथियों को महीनों तक प्रशिक्षण दिया गया.
  • बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ने चार हाथियों को जापान के हिमेजी सेंट्रल सफारी पार्क में भेजा है.
  • हाथियों को हवाई जहाज से जापान भेजा गया है. 20 घंटे की इस कठिन यात्रा के लिए हाथियों को प्रशिक्षण भी दिया गया.
  • हाथियों के साथ 8 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम भी गई है. यह टीम दो सप्ताह हाथियों के साथ रहकर उनके बसने में मदद करेगी.
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बेंगलुरु:

बेंगलुरु के बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क (Bannerghatta Biological Park) से चार एशियाई हाथी जापान के हिमेजी सेंट्रल पार्क- सफारी पार्क (Himeji Central Park - Safari Park) पहुंच गए हैं. इस तरह बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ने ऐतिहासिक रूप से अपने पहले अंतरराष्‍ट्रीय पशु निर्यात को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो इस पार्क की विरासत के लिए बड़ी उपलब्धि है. जापान पहुंचे और वहां पर बसने वाले इन चार हाथियों का नाम सुरेश (8), गौरी (9), श्रुति (7) और तुलसी (5) है.

पार्क के अधिकारियों ने सफलतापूर्वक हाथियों की यात्रा संपन्‍न होने की पुष्टि करते हुए कहा, "हमें आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि यह ऐतिहासिक यात्रा कल समाप्त हो गई है और सभी चार हाथी और हमारी टीम सफलतापूर्वक जापान के हिमेजी स्थित हिमेजी सेंट्रल पार्क सफारी पार्क में पहुंच गए हैं."

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20 घंटे का सफर किया तय 

इन हाथियों को कतर एयरवेज कार्गो के बोइंग 777-200F विमान से 24 और 25 जुलाई 2025 को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट से ओसाका के कंसाई अंतरराष्‍ट्रीय एयरपोर्ट तक पहुंचाया गया. जमीनी परिवहन सहित यह 20 घंटे की कठिन यात्रा थी. इस यात्रा के लिए जानवरों को महीनों तक प्रशिक्षण के साथ उचित देखभाल की गई और उन्हें यात्रा के लिए फिट प्रमाणित किया गया.

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पशु विनिमय समझौते का हिस्सा

यह आदान-प्रदान सेंट्रल जू अथॉरिी आफ इंडिया के एक पशु विनिमय समझौते का हिस्सा है, जिसके तहत बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान को बदले में 4 चीते, 4 जगुआर, 4 प्यूमा, 3 चिंपैंजी और 8 ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर मिलेंगे.

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हाथियों के साथ गई है विशेषज्ञ टीम

इस परिवर्तन को सुनिश्चित करने के लिए दो पशु चिकित्सकों, चार प्रशिक्षित हाथीपालकों, एक पर्यवेक्षक और एक जीवविज्ञानी सहित आठ बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क कर्मियों की टीम हाथियों के साथ जापान गई है. वे हाथियों को उनके नए घर के अनुकूल बनाने में मदद करने के लिए दो सप्ताह तक पार्क में रहेंगे. इससे पहले, हिमेजी पार्क के हाथीपालकों ने मई 2025 में बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क में 20 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया था.

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2021 में भी जापान भेजे गए थे हाथी

यह दूसरी बार है जब भारत ने जापान में हाथियों को भेजा है. इससे पहले मई 2021 में मैसूर जू से तीन हाथियों को तोयोहाशी जू और बॉटेनिकल पार्क में भेजा गया था.

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