लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) को लेकर हर पार्टी अपनी रणनीति तैयार करने में जुटी है. पार्टियां रणनीति तय करने के दौरान अलग-अलग उम्र के मतदातों को खासतौर पर ध्यान में रख रही हैं. यह चुनाव (Lok Sabha Election 2019) कई मायनों में पार्टी के युवा नेताओं के लिए एक अग्निपरीक्षा की तरह होगा. इन युवा नेताओं के लिए यह एक बड़ा मौका भी होगा. इन युवा नेताओं के नेतृत्व में अगर इनकी पार्टी अच्छा करती है और पिछले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) की तुलना में ज्यादा सीटें जीतती है तो इसका सीधा फायदा इन्हें ही होगा. इस जीत (Lok Sabha Election 2019) से वह पार्टी में अपनी स्थिति पहले से और मजबूत कर पाएंगे. साथ ही उनका कद भी पहले की तुलना में काफी बड़ा हो जाएगा. इन युवा नेताओं में मुख्य रूप से तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और अखिलेश यादव जैसे नेता शामिल हैं. खास बात तो यह है कि इन युवा नेताओं में कई ऐसे भी हैं जिनके लिए यह पहला लोकसभा चुनाव होगा.
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तेजस्वी के लिए पिता की गैर-मौजूदगी में यह पहला चुनाव
विधानसभा चुनाव 2015 के बाद यह पहला ऐसा मौका होगा जब राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपने दम पर पार्टी की नैया पार कराने का जिम्मा उठाएंगे. इससे पहले 2015 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी इसलिए भी नहीं थी क्योंकि उस समय उनके पिता लालू प्रसाद यादव जेल में नहीं थे. और न ही उनका स्वास्थ्य इतना खराब था. उस दौरान वह अपने पिता के साथ रहकर राजनीति की ए बी सी डी सीख रहे थे. लेकिन 2015 के बाद चुनाव में जीत और उसके कुछ साल बाद महागठबंधन से जेडीयू के अलग हो जाने के बाद पार्टी का सारा दारोमदार तेजस्वी यादव पर आ गया है. बीते कुछ वर्षों में तेजस्वी यादव ने अपने पिता के जेल में होने की वजह से हर मंच पर पार्टी का कुशल नेतृत्व भी किया है. अगर पार्टी उनके नेतृत्व में लोकसभा चुनाव में बिहार में बेहतर प्रदर्शन करती है तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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अखिलेश पर यूपी में करिश्मा करने की चुनौती
कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है. यानी जिसने यूपी जीत लिया, दिल्ली की सत्ता उसके पास ही होगी. लोकसभा चुनाव 2019 भी उत्तर प्रदेश के लिए बेहद रोचक होने वाला है. खासकर अब जब राज्य में सपा-बसपा बीजेपी के खिलाफ गठबंधन करके लड़ने जा रही हैं. अखिलेश यादव पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद अब इस गठबंधन और अपनी पार्टी को पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में ज्यादा सीटें जिताने का दवाब होगा. वहीं कांग्रेस द्वारा प्रियंका गांधी को महासचिव और पूर्वी यूपी का प्रभारी बनाने के बाद यह लड़ाई और भी दिलचस्प हो गई है.
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बिहार में एनडीए के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकते हैं चिराग
लोक जनशक्ति पार्टी के युवा नेता चिराग पासवान के लिए बिहार में एनडीए को आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूती के साथ जिताने की जिम्मेदारी होगी. खासकर तब जब बीते कुछ दिनों में एनडीए से उसके कई साथी अलग हो चुके हैं. बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 6 सीटों पर लोजपा चुनाव लड़ेगी. चिराग अगर पार्टी को ज्यादा सीटें जिता पाते हैं तो इसका असर उनकी छवि पर ही पडे़गा. और इससे दूसरी तरफ एनडीए में उनकी पार्टी की स्थिति पहले से भी ज्यादा मजबूत होगी.
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