दिग्गज चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर वीरवार को आए 17वीं लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के परिणामों के बाद फिर से चर्चाओं के केंद्र में आ गए हैं. साल 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुख्य चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने इस चुनाव में एक बार फिर से अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है. उन्होंने आंध्र प्रदेश में जगमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस की 'सुनामी जीत' में बहुत ही अहम भूमिका निभाते हुए फिर से 'अपने बिजनेस' में जोरदार वापसी की है. प्रशांत किशोर की रणनीति ने उस चंद्रबाबू नायडू को सत्ता से बाहर कर दिया जो आम चुनाव के परिणाम आने से कुछ दिन पहले पहले तीसरा मोर्चा बनाने की अगुवाई कर रहे थे. प्रशांत किशोर ने साल 2017 में उत्तर प्रदेश में हुए चुनाव में कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार की थी, लेकिन तब इस चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी.
Thank you Andhra and colleagues at @IndianPAC for the landslide victory.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 23, 2019
Congratulations and best wishes to the new CM @ysjagan
बहरहाल, वीरवार को जगमोहन रेड्डी ने हैदराबाद स्थित अपने निवास पर रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ अपने निवास पर ही लगातार आ रहे परिणामों को देखा. उनकी पार्टी ने राज्य में 25 लोकसभा और 175 में से 150 से भी ज्यादा विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. वाईएसआर कांग्रेस राज्य में पहली बात सत्ता की कमान संभालेगी, तो वहीं वह लोकसभा में बीजेपी और कांग्रेस के बाद तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भी बन सकती है.
Prashant kishor team monitoring results pic.twitter.com/CvMSUDIWIc
— Ramreddy (@Ramredd22630305) May 23, 2019
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परिणाम आने के बाद प्रशांत किशोर ने अपने संगठन आई-पीएसी (इंडियन पॉलिटिकल एक्शन) का हवाला देते हुए ट्वीट किया, 'आंध्र प्रदेश और सभी सहयोगियों को इस एकतरफा जीत के लिए धन्यवाद. नए मुख्यमंत्री को बधाई और बहुत शुभकामनाएं'. बता दें कि बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को नीतीश कुमार ने इस चुनाव बमुश्किल ही कोई बड़ी जिम्मेदारी सौंपी. इसके पीछे वजह रही कि नीतीश कुमार पर सहयोगी पार्टी बीजेपी के दबाव में थे. बीजेपी युवाओं के बीच जदयू के विस्तार की प्रशांत किशोर की योजना को लेकर नाराज थी. इस पर नीतीश कुमार ने बीजेपी की असहजता को तेजी से समझते हुए उसकी चिंता की अनदेखी करने के बजाय अपने उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर को ही किनारे करने का फैसला लिया.
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लेकिन अब आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी की पार्टी को मिली शानदार कामयाबी के बाद प्रशांत किशोर के नजदीकी सूत्रों ने स्वीकार किया कि अब उनके लिए कोई सीमा नहीं है. और ज्यादा से ज्यादा पार्टियां उनसे संपर्क साध रही हैं. प्रशांत किशोर के संगठन ने करीब पिछले दो साल से जगन रेड्डी की पार्टी के साथ काम किया और 175 में से प्रत्येक सीट पर बहुत ही बारीकी से चुनाव प्रचार अभियान की योजना का खाका तैयार किया.
VIDEO: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रचंड जीत के बाद कार्यालाय में कार्यकर्ताओं को संबोधन के दौरान.
इससे पहले प्रशांत किशोर ने साल 2014 आम चुनावों में नरेंद्र मोदी और 2015 में नीतीश कुमार के मुख्य चुनावी रणनीतिकार की भूमिका निभाई थी, लेकिन साल 2017 में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मिली नाकामी के बाद प्रशांत किशोर ने खुद को बहुत हद तक सीमित कर लिया था. बहरहाल, अब वाईएसआर के साथ जुड़ाव के बाद प्रशांत किशोर को कामयाबी ऐसे दुखद समय आई है, जब पिछले ही हफ्ते उनके पिता का निधन हुआ है.
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