लोकसभा चुनाव 2014 में सिर्फ 44 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस इस बार कर सकती है बड़ा 'खेल'?

क्या कांग्रेस के नेता इन सीटों पर जीत दर्ज करा पाने लायक रणनीति बना पाएंगे या नहीं.  

लोकसभा चुनाव 2014 में सिर्फ 44 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस इस बार कर सकती है बड़ा 'खेल'?

लोकसभा चुनाव 2019 इस बार 7 चरणों में होगा

खास बातें

  • 227 सीटों पर कांग्रेस रही दूसरे नंबर पर
  • इन्हीं सीटों पर कांग्रेस को करनी होगी मेहनत
  • 9 राज्यों में हालत खराब
नई दिल्ली:

केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार  को हटाने के लिए कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है. हालांकि उसकी रणनीति पर अब जमीनी स्तर पर कई कमियां भी उजागर हो रही हैं. बीते साल दिसंबर में ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में लगभग समूचा विपक्ष एक हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. उत्तर प्रदेश में सपा और बीएसपी ने अपने गठबंधन में कांग्रेस को भाव तक नहीं दिया. वहीं पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस का हाथ झटक दिया. वहीं एनडीए से बगावत करने के बाद ऐसा लग रहा था कि टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू कांग्रेस के साथ आ जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. फिर भी अगर आंकड़ों पर ध्यान दें तो पिछले चुनाव में मात्र 44 सीटें जीतने वाली कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबला 210 सीटों में होगा. सीटों का यह आंकड़ा उन राज्यों की सीटों का है जहां कांग्रेस  ज्यादातर सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है. लेकिन सवाल इस बात का है क्या कांग्रेस के नेता इन सीटों पर जीत दर्ज करा पाने लायक रणनीति बना पाएंगे या नहीं.  आपको बता दें कि इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होगा औैर नतीजे 23 मई को आएंगे. 

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इन राज्यों से कांग्रेस को उम्मीद
गुजरात, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, केरल और कर्नाटक सहित 10 राज्यों की 224 सीटों पर कांग्रेस 183 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही है.  वहीं केंद्र शासित राज्यों में जहां पर लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं वहां पर कांग्रेस 27 सीटों पर नंबर दो पर रही थी.  यानी इन सभी राज्यों को मिला दें तो कुल सीटें 210 हो जाती हैं. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि केरल और महाराष्ट्र में कांग्रेस का क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन भी था. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में करीब 268 सीटें ऐसी थीं कि जहां कांग्रेस ने या तो जीत दर्ज की या फिर दूसरे नंबर रही. हालांकि कांग्रेस इन सीटों में 44 ही सीटें जीतने कामयाब हो पाई थी और 224 सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी.   आजादी के बाद देश के चुनावी इतिहास में ऐसा पहला मौका था जब कांग्रेस को 50 से भी कम सीटें मिली थीं. 

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कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती किन राज्यों से
कांग्रेस को असम, हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन करना होगा. इन राज्यों मे पिछली बार बीजेपी को इतनी सीटें मिली थीं कि कांग्रेस पूरी तरह से साफ हो गई थी.  आप अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इन राज्यों से 224 सीटें आती हैं जिनमें कांग्रेस को मात्र 29 सीटें ही मिली थीं. इनमें महाराष्ट्र ही सिर्फ ऐसा राज्य था जहां कांग्रेस का गठबंधन था. एनसीपी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस को कुल 48 सीटों में मात्र 26 सीटें पर लड़ी थी. 

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कांग्रेस के लिए राहत वाली बात
हाल ही में कांग्रेस ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा सीट जीतकर वहां पर सरकार बनाई है और गुजरात में उसके प्रदर्शन में सुधार हुआ है. 

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छोटे राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन
केंद्र शासित राज्यों को मिलाकर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और उत्तर पूर्व कुल 28 लोकसभा सीटों में कांग्रेस को सिर्फ 5 लोकसभा सीटें मिली थीं. लेकिन 22 जगहों पर वह दूसरे नंबर पर रही थी.  इन राज्यों में भी इस बार कांग्रेस के लिए अच्छी संभावना है.

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ये राज्य कांग्रेस के लिए सिरदर्द, लेकिन उम्मीद यहां भी
उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल सहित 9 राज्यों से कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के आगे भी कमजोर है. इन राज्यों से 291 सीटें आती हैं.  कांग्रेस के पास यहां पर मात्र 10 सीटें हैं और 48 सीटों पर दूसरे पर नंबर रही है. इन राज्यों में कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. 

किन राज्यों में कांग्रेस रही दूसरे नंबर पर 
असम की 14 में से 11 सीट पर, छत्तीसगढ़ में सभी 11 सीटों पर, गुजरात की 26 में से 25 सीटों पर, हरियाणा की 10 में 6 सीटों पर, कर्नाटक की सभी 28 सीटों पर , केरल की 20 में से 15 सीटों पर , मध्य प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर , महाराष्ट्र की 48 में से 26 सीट पर ,पंजाब की 13 में 11 सीटों पर, राजस्थान की 25 में से 22 सीटों पर

हैदराबाद सीट पर होगी कड़ी टक्कर​

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