नामांकन पत्र में खामी पर तेज बहादुर यादव को भेजे नोटिस में चुनाव आयोग खुद कर बैठा 'बड़ी गलती'

वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी पर अब भी संशय के बादल हैं.

नामांकन पत्र में खामी पर तेज बहादुर यादव को भेजे नोटिस में चुनाव आयोग खुद कर बैठा 'बड़ी गलती'

तेज बहादुर यादव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ सपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव की उम्मीदवारी पर अब भी संशय के बादल हैं. दरअसल, चुनाव आयोग ने बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर को एक नोटिस भेजा है, जिसमें उनके दो हलफनामों में दिए गए अगल-अलग तथ्यों के संदर्भ में जानकारी मांगी गई है. नामांकन के दौरान एक हलफनामा तेज बहादुर ने निर्दलीय के रूप में भरा था, जबकि दूसरा उसने सपा उम्मीदवार के रूप में दाखिल किया है. बता दें कि समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से पूर्वघोषित उम्मीदवार शालिनी यादव (Shalini Yadav) की जगह पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव (Tej Bahadur Yadav) को टिकट दिया है.

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मगर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव को जो नोटिस जारी किया है, उसमें जानकारी जमा करने के लिए तेज बहादुर को 90 साल का समय दिया है. जी हां, आपने सही पढ़ा, 90 साल बाद चुनाव आयोग के नोटिस का जावब देना है तेज बहादुर यादव को. दरअसल, मामला यह है कि वाराणसी में तेज बहादुर को जिला निर्वाचन आयोग ने जो नोटिस दी है, उसमें आयोग ने तेज बहादुर यादव को सभी साक्ष्य जमा करने के लिए लगभग 90 साल का दिया. मतलब चुनाव आयोग के नोटिस में तारीख 2019 की जगह 1 मई 2109 लिखा गया है. 

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हालांकि, यह महज एक टाइपो एरर है, जिसकी वजह से चुनाव आयोग के नोटिस में तारीख 2019 की जगह 1 मई 2109 लिखा हुआ दिख रहा है. जिसकी पर भले ही किसी को नजर जाए. मगर हकीकत में यह तारीख 1 मई 2019 ही है यानी आज और आज तेज बहादुर यादव को आज ही चुनाव आयोग के सामने सारे सबूत मसलन एनओसी आदि पेश करने हैं. यहां इस टाइपो पर ध्यान केंद्रित करने की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि चुनाव आयोग भी ऐसी छोटी-मोटी गलतियों के लिए कई उम्मीदवारों के नामंकन को रद्द कर देता है. 

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गौरतलब है कि तेज बहादुर (Tej Bahadur Yadav) पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी दावेदारी पेश की थी, उसमें उन्होंने अपने हलफनामे में सेना से बर्खास्तगी की बात कही थी, लेकिन समाजवादी पार्टी की तरफ से जब उन्होंने अपना नामांकन दाखिल किया तो शायद इस तथ्य को छुपा लिया. नामांकन पत्र जांच के दौरान वाराणसी के रिटर्निंग अफसर को जब इस तथ्य की जानकारी मिली तो उन्होंने नोटिस भेजकर उनसे इसका जवाब मांगा है.