चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को चुनाव की तारीख से 48 घंटे पहले अपना घोषणा-पत्र जारी करने का आदेश दिया है. आयोग ने साफ़ कहा है कि चुनाव तारीख से पहले के 48 घंटों के दौरान राजनीतिक दल अपना घोषणा-पत्र जारी नहीं कर सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि यह कदम आदर्श आचार संहिता में संशोधन के जरिए लाया गया - जनप्रतिनिधि कानून-1951 की धारा 126 का ध्यान रखते हुए, जो इस अवधि के दौरान "चुनावी चुप्पी (election silence)" प्रदान करता है.
2014 में हुए पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पहले चरण के चुनाव में मतदान के दिन ही अपना घोषणा पत्र जारी किया था. हालांकि कांग्रेस ने इस मामले में चुनाव आयोग का रुख किया था और शिकायत की थी कि जानबूझकर ऐसे समय में घोषणा पत्र मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए जारी किया गया. तब कोई कार्रवाई नहीं हुई थी क्योंकि आदर्श आचार संहिता घोषणा पत्र को जारी करने के समय को लेकर कोई जानकारी नहीं देती थी.
इस बार लोकसभा चुनाव 7 चरणों में 11 अप्रैल से लेकर 19 मई तक होंगे और 23 मई को चुनाव परिणाम आएंगे.
चुनाव आयोग ने वोटिंग से 48 घंटे पहले तक के समय में नेताओं से मीडिया को इंटरव्यू नहीं देने को भी कहा है. आयोग की एडवाइजरी के अनुसार साइलेंस पीरियड के दौरान स्टार प्रचारकों और अन्य राजनेताओं को चुनाव संबंधी मुद्दों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस या इंटरव्यू देने से बचना चाहिए.
आयोग के प्रमुख सचिव नरेन्द्र एन बुतोलिया द्वारा सभी राजनीतिक दलों और राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को जारी दिशानिर्देश में निर्धारित की गयी यह समयसीमा एक या एक से अधिक चरण वाले चुनाव में समान रूप से लागू होगी. इसमें चुनाव आचार संहिता के खंड आठ में घोषणापत्र जारी करने की प्रतिबंधित समयसीमा के प्रावधान शामिल करते हुये स्पष्ट किया गया है कि एक चरण वाले चुनाव में मतदान से पूर्व प्रचार थमने के बाद की अवधि में कोई घोषणापत्र जारी नहीं होगा. वहीं एक से अधिक चरण वाले चुनाव में भी प्रत्येक चरण के मतदान से पहले 48 घंटे की अवधि में घोषणापत्र जारी नहीं किये जा सकेंगे.
वर्ष 2017 में उस वक्त विवाद हो गया था जब गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए होने वाली मतगणना से एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्थानीय चैनलों को इंटरव्यू दिया था. तब बीजेपी की तरफ से आलोचना झेल रही कांग्रेस ने पलटवार करते हुए पीएम मोदी द्वारा मतदान से एक दिन पहले रोड शो का आयोजन करने को लेकर सवाल खड़े किए थे.
चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस बार ऐसा कोई विवाद न हो.
आयोग के एक अधिकारी ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्पष्ट किया कि यह प्रावधान क्षेत्रीय दलों पर भी समान रूप से लागू होगा. अधिकारी ने बताया कि क्षेत्रीय राजनीतिक दल संबद्ध क्षेत्र के मतदान से पहले 48 घंटे की अवधि में (प्रचार बंद होने के दौरान) घोषणापत्र जारी नहीं कर सकेंगे. यह व्यवस्था भविष्य में सभी चुनावों के दौरान लागू होगी. उल्लेखनीय है कि प्रचार अभियान थमने के बाद 48 घंटे की ‘प्रचार प्रतिबंधित अवधि' में घोषणापत्र को भी मतदाताओं को लुभाने के लिये किये जाने वाले प्रचार का ही एक स्वरूप मानते हुये आयोग ने यह व्यवस्था की है.
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