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This Article is From May 17, 2019

General Election: क्या कांग्रेस ने अब प्रधानमंत्री पद को लेकर भी हथियार डाल दिए हैं?

General Election: कम से कम पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के बयान से तो यही संदेश मिल रहा है.

General Election: क्या कांग्रेस ने अब प्रधानमंत्री पद को लेकर भी हथियार डाल दिए हैं?
General Election: क्या कांग्रेस अब राहुल गांधी को ही प्रधानमंत्री बनाने के रुख से पीछे हट गई है?
नई दिल्ली:

General Election: कम से कम पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के बयान से तो यही संदेश मिल रहा है. कांग्रेस अभी तक कहती आई थी कि अगर वो सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो जाहिर है प्रधानमंत्री पद पर उसका स्वाभाविक रूप से दावा होगा. लेकिन गुलाम नबी आजाद का मानना है कि पार्टी की पहली प्राथमिकता एनडीए को सत्ता में आने से रोकना है. इसके लिए अगर गैर कांग्रेसी पार्टियों में आम राय बनती है तो कांग्रेस इसे इश्यू नहीं बनाएगी. इस पर हम अपनी स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं. हां अगर कंसेसस कांग्रेस के नाम पर बनता है तो कांग्रेस लीडरशिप लेगी. लेकिन इस वक्त हमारा जो लक्ष्य रहा है शुरू से ही, कि एनडीए की सरकार नहीं आनी चाहिए और उसमें गैर कांग्रेसी पार्टियां जो हैं वो मिल कर जो भी आम राय बनेगी, उस आम राय के साथ हम सब होंगे.इस वक्त हम कोई इश्यू नहीं बनाना चाहते हैं कि हम नहीं बनेंगे तो कोई नहीं बनेगा ऐसा कोई संभावना नहीं. 

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जाहिर है आजाद का यह रुख पार्टी के रुख से अलग है जो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताती आ रही है। इसीलिए पार्टी को सफाई देनी पड़ी. आपको बता दें कि राहुल गांधी की उम्मीदवारी को लेकर कांग्रेस के कई सहयोगी दल जहां खुल कर सामने आए हैं वहीं कुछ खुल कर कहने से बचते भी रहे हैं. डीएमके, जनता दल सेक्यूलर, आरजेडी और आरएलएसपी कह चुके हैं कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए. वहीं एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, जेएमएम जैसे दल खुल कर सामने नहीं आए हैं. 

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वहीं एक अलग खिचड़ी भी पक रही है. इसे पकाने वाले तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंशेखर राव हैं. वे फेडरल फ्रंट के नाम पर यूपीए में फूट डालने की कोशिश में हैं. लेकिन अभी कामयाबी नहीं मिल सकी. उधर, ममता बनर्जी, मायावती और चंद्रबाबू नायडू तीनों ही प्रधानमंत्री पद की दौड़ में हैं. खुद शरद पवार इन्हें सही दावेदार बता चुके हैं. तो चुनाव परिणाम आने से पहले ही शुरू हुई यह बयानबाजी क्या इशारा कर रही है?  क्या मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस इस बार सरकार में जूनियर पार्टिनर बनने को भी तैयार होगी? 

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