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This Article is From Apr 19, 2019

क्या पीलीभीत की कुर्सी पर कब्जा जमा पाएंगे वरुण गांधी? पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट क़ाफ़ी चर्चा में है. यहां से मेनका गांधी 6 बार सांसद रही हैं. इस बार मेनका गांधी को बीजेपी ने सुल्तानपुर भेज उनके बेटे वरूण गांधी को पीलीभीत से मैदान में उतारा है.

क्या पीलीभीत की कुर्सी पर कब्जा जमा पाएंगे वरुण गांधी? पढ़ें- ग्राउंड रिपोर्ट
बीजेपी ने सुल्तानपुर भेज उनके बेटे वरूण गांधी को पीलीभीत से मैदान में उतारा है.
पीलीभीत:

उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट क़ाफ़ी चर्चा में है. यहां से मेनका गांधी 6 बार सांसद रही हैं. इस बार मेनका गांधी को बीजेपी ने सुल्तानपुर भेज उनके बेटे वरूण गांधी को पीलीभीत से मैदान में उतारा है. हालांकि वरुण गांधी ने 2009 में अपना राजनीतिक डेब्यू पीलीभीत से ही किया, लेकिन 2014 में वो सुल्तानपुर चले गए. जिसके बाद उनकी बीजेपी से तनातनी की भी ख़बरें आईं, लेकिन 2019 में वरूण फिर से एक बार पीलीभीत वापस आए हैं. वरूण गांधी गांव में जाकर लोगों से वोट मांग रहे हैं और अपने फायरब्रांड भाषण के विपरीत उनके तेवर नर्म और भाषा सधी हुई नज़र आ रही है. वरूण गांधी अपने भाषणों में मज़ाक भी करते रहते हैं. उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि” आप मुझे एक लाख वोटों से जिताएंगे तो मुझे लगेगा मेरी ताक़त मामूली है लेकिन 3 लाख से जिताएंगे तो मैं सुपरमैन बनकर आपकी रक्षा करूंगा”, वरूण अपने भाषणों को ग़ैर राजनीतिक रखते हैं. न ही वो राहुल गांधी पर हमला करते हैं और न कांग्रेस को बुरा भला कहते हैं. 

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वरूण लोगों से अपने कामों और अपनी मां मेनका गांधी की 30 साल की विरासत पर वोट मांगते नजर आ रहे हैं. एक भाषण में बोलते हैं कि “30 साल लंबा वक़्त होता है बच्चा छोटे से बड़ा हो जाता है पहले लोगों ने हमारी मदद की अब उनके बच्चे हमारी मदद कर रहे हैं, मेरी मां ने आपका ख़याल रखा अब मैं रखूंगा” वरूण न राष्ट्रवाद की बाते करते हैं और न ही प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेते हैं वो लोगों से अपनी मां मेनका और अपनी बात करते हैं. हालांकि वरूण गांधी प्रचार तो कर रहे हैं पर मीडिया के कैमरों से दूरी बनाए हुए हैं. उन्हें लगता है कि पिछले कुछ सालों में मीडिया ने उनकी इमेज ख़राब बनाई है. वरूण भले ही प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट न मांग रहे हों पर पीलीभीत की जनता उन्हें सिर्फ़ मोदी जी के नाम पर वोट देनें की बात कर रही है. एनडीटीवी से बातचीत में 30 साल के विशाल कहते हैं कि “मेनका गांधी तो बिल्कुल फ़्लॉप हैं हम तो केंद्र सरकार का समर्थन कर रहे हैं और मोदी को वोट देंगे”. 

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क्या महागठबंधन उम्मीदवार को स्थानीय होने का मिलेगा लाभ?
पीलीभीत से महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर हेमराज वर्मा ताल ठोंक रहे हैं. अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हेमराज वर्मा एनडीटीवी से बातचीत में कहते हैं कि वरूण और मेनका वोट लेकर पीलीभीत छोड़ देते हैं. वह मानते हैं उन्हें स्थानीय होने का लाभ मिलेगा. दूसरी तरफ, काग्रेस ने यहां कृष्णा पटेल के अपना दल के साथ गठबंधन किया है जिनके उम्मीदवार सुरेंद्र गुप्ता कहीं रेस में भी नहीं दिखते. बहरहाल, पीलीभीत में इस बार वरूण गांधी के सामने चुनौती अपने तीस साल पुराने किले को बचाने की होगी, क्योंकि इस बार सपा बसपा मिलकर उनके किले में सेंध लगाने के प्रयास में है.  

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