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This Article is From May 09, 2017

रवींद्रनाथ टैगोर के ये विचार बताते हैं जीने की राह, पढ़कर बदल जाएगा आपके सोचने का तरीका

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता के जोड़ासां में हुआ था. रविंद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार, दार्शनिक ही नहीं एक शानदार संगीतकार और पेंटर भी थे. भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था.

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रवींद्रनाथ टैगोर के ये विचार बताते हैं जीने की राह, पढ़कर बदल जाएगा आपके सोचने का तरीका
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को पश्चिम बंगाल के कलकत्ता के जोड़ासां में हुआ था. रविंद्रनाथ टैगोर एक महान कवि, साहित्यकार, दार्शनिक ही नहीं एक शानदार संगीतकार और पेंटर भी थे. भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' को रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था. वो अकेले ऐसे कवि हैं जिनकी दो रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. भारत के अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रीयगान 'आमार सोनार बांग्ला' रवींद्रनाथ टैगोर की ही रचना है. रवींद्रनाथ टैगोर अकेले ऐसे भारतीय साहित्यकार हैं जिन्हें उनकी रचनाओं के लिए नोबेल पुरस्कार मिला है. रवींद्रनाथ टैगोर ने कविताएं लिखने के साथ ही सफल जीवन जीने को लेकर भी कई विचार दिए हैं. उनके कई ऐसे विचार जो आपके जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं.

1. आईए हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर खतरे न आएं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका निडरता से सामना कर सकें.

2. सिर्फ खड़े होकर पानी को ताकते रहने से आप समुंद्र को पार नहीं कर सकते.

3. आश्रय के एवज में यदि आश्रितों से काम ही लिया गया, तो वह नौकरी से भी बदतर है. उससे आश्रयदान का महत्त्व ही जाता रहता है.

4. हमेशा तर्क करने वाला दिमाग धार वाला वह चाकू है जो प्रयोग करने वाले के हाथ से ही खून निकाल देता है.

5. किसी बच्चे की शिक्षा अपने ज्ञान तक सीमित मत रखिए, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है.

6. केवल प्रेम ही वास्तविकता है, ये महज एक भावना नहीं है. यह एक परम सत्य है जो सृजन के ह्रदय में वास करता है.

7. चंद्रमा अपना प्रकाश संपूर्ण आकाश में फैलाता है परंतु अपना कलंक अपने ही पास रखता है.

8. जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है उसी तरह मौन तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है.

9. यदि आप सभी गलतियों के लिए दरवाजे बंद कर देंगे तो सच अपने आप बाहर रह जाएगा.

10. तर्कों की झड़ी, तर्कों की धूलि और अन्धबुद्धि. ये सब आकुल व्याकुल होकर लौट जाती है, किन्तु विश्वास तो अपने अन्दर ही निवास करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं है.
11. देश का जो आत्माभिमान, हमारी शक्ति को आगे बढ़ाता है, वह प्रशंसनीय है. पर जो आत्माभिमान हमें पीछे खींचता है, वह सिर्फ खूंटे से बांधता है, यह धिक्कारनीय है.

12. प्रत्येक शिशु यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्यों से निराश नहीं हुआ है.

13. फूल की पंखुड़ियों को तोड़ कर आप उसकी सुंदरता को इकठ्ठा नहीं कर सकते.

14. बर्तन में रखा पानी हमेशा चमकता है और समुद्र का पानी हमेशा गहरे रंग (अस्पष्ट) का होता है. लघु सत्य के शब्द हमेशा स्पष्ठ होते हैं, महान सत्य मौन रहता है.

15. बीज के ह्रदय में प्रतीक्षा करता हुआ विश्वास जीवन में एक महान आश्चर्य का वादा करता है, जिसे वह उसी समय सिद्ध नहीं कर सकता.

16. मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है. मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है. मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है.

17. जो आत्मा शरीर में रहती है, वही ईश्वर है और चेतना रूप से विवेक के द्वारा शरीर के सभी अंगो से काम करवाती हैं. लोग उस अन्तर्देव को भूल जाते हैं और दौड़-दौड़ कर तीर्थों में जाते हैं.

18. कट्टरता सच को उन हाथों में सुरक्षित रखने की कोशिश करती है जो उसे मारना चाहते हैं.

19. उच्चतम शिक्षा वो है, जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव भी लाती है.

20. हर एक कठिनाई जिससे आप मुंह मोड़ लेते हैं, एक भूत बन कर आपकी नींद में बाधा डालेगी.

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